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Mann Ki Baat: चोरी हुईं 200 से अधिक कीमती मूर्तियों को भारत वापस लाया गया: PM मोदी

Mann Ki Baat: प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि, “प्रत्येक मूर्ति का इतिहास भी अपने-अपने समय के प्रभाव को दर्शाता है और ये भारतीय मूर्तिकला का एक अद्भुत कलात्मक उदाहरण हैं, जिनसे हमारी आस्था जुड़ी है।”

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को कहा कि भारत में 2014 से अब तक विदेशों से चुराई गई 200 से ज्यादा कीमती मूर्तियों को वापस लाया गया है। उन्होंने मन की बात के अपने मासिक रेडियो संबोधन के 86वें एपिसोड में कहा, “महीने की शुरुआत में, भारत इटली से अपनी एक अमूल्य विरासत को घर लाने में सफल रहा है। यह विरासत अवलोकितेश्वर पद्मपाणि की एक हजार साल पुरानी मूर्ति है। यह मूर्ति कुछ साल पहले कुंडलपुर मंदिर, देवी से चोरी हो गई थी, जो बिहार में स्थित है। भारत को अब यह मूर्ति वापस मिल गई है।” प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा, “इसी तरह, कुछ साल पहले तमिलनाडु के वेल्लोर से भगवान हनुमान जी की मूर्ति चोरी हो गई थी। हनुमान जी की यह मूर्ति भी 600-700 वर्ष पुरानी थी। इस महीने की शुरुआत में, हमने इसे ऑस्ट्रेलिया में प्राप्त किया था।”

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि, “प्रत्येक मूर्ति का इतिहास भी अपने-अपने समय के प्रभाव को दर्शाता है और ये भारतीय मूर्तिकला का एक अद्भुत कलात्मक उदाहरण हैं, जिनसे हमारी आस्था जुड़ी है।” अतीत में, कई मूर्तियों की चोरी और बिक्री हुई थी। इन मूर्तियों को घर लाने के लिए भारत माता के प्रति हमारी जिम्मेदारी है। ये मूर्तियां भारत का एक हिस्सा हैं। इनका एक सांस्कृतिक-ऐतिहासिक महत्व भी है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, “अभी कुछ दिन पहले आपने ध्यान दिया होगा कि काशी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति भी वापस लाई गई थी। यह भारत के प्रति बदलते वैश्विक ²ष्टिकोण का एक उदाहरण है। वर्ष 2013 तक, लगभग 13 ऐतिहासिक मूर्तियों को भारत वापस लाया गया। लेकिन, पिछले सात वर्षो में, भारत 200 से अधिक कीमती मूर्तियों को सफलतापूर्वक वापस लाया है। अमेरिका, ब्रिटेन, हॉलैंड, फ्रांस, कनाडा, जर्मनी, सिंगापुर जैसे कई देशों ने भारत की इस भावना को समझा और इन मूर्तियों को पुन: प्राप्त करने के लिए हमारी मदद की।”

उन्होंने आगे कहा कि जब उन्होंने सितंबर 2021 में अमेरिका का दौरा किया, तो उन्हें वहां बहुत सारी और बहुत पुरानी मूर्तियां और सांस्कृतिक महत्व की कई कलाकृतियां देखने को मिलीं। उन्होंने आगे कहा, “जब भी कोई अमूल्य विरासत देश में लौटती है, तो यह स्वाभाविक रूप से हम सभी के लिए बहुत संतुष्टि की बात होती है।”