नई दिल्ली। बेंगलुरु हिंसा पर भारत को नसीहत देने वाला पाकिस्तान खुद के ही देश में अल्पसंख्यकों पर जुल्म ढा रहा है लेकिन उसे अपनी करतूतों का जरा सा भी ख्याल नहीं है। अल्पसंख्यक हिंदू, ईसाई, बौद्ध, जैन और सिखों के साथ बुरा सलूक करने वाले पाकिस्तान ने तो अब बेशर्मी की सारी हदें पार करते हुए भारत को बेंगलुरु हिंसा पर ज्ञान देना शुरू किया है।
इसको लेकर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए भारत के साथ इस मुद्दे पर अपना आधिकारिक विरोध दर्ज करवाया है। कर्नाटक के बेंगलुरु में अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट के बाद हुए बवाल पर पाकिस्तानी विदेश विभाग ने ट्वीट कर कहा कि भारत के साथ पाकिस्तान ने कड़े शब्दों में निंदा और विरोध दर्ज कराया है। पाकिस्तान ने कहा कि भारत में धार्मिक घृणा अपराध की बढ़ती घटनाएं आरएसएस-बीजेपी गठबंधन की कट्टर हिंदुत्व की विचारधारा का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं।
गौरतलब है कि अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने के लिए पाकिस्तान में हमेशा ईशनिंदा कानून का उपयोग किया जाता है। जिया-उल-हक के शासनकाल में पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को लागू किया गया। पाकिस्तान पीनल कोड में सेक्शन 295-बी और 295-सी जोड़कर ईशनिंदा कानून बनाया गया।
#Pakistan condemns & lodges strong protest with India on derogatory social media post against the Prophet Muhammad (SAW) in #Bengaluru,
Karnataka.Rising incidents of religious hate crime in India are a direct consequence of RSS-BJP combine’s extremist ideology of ‘Hindutva’. pic.twitter.com/Cdl9P4nfwE
— Spokesperson ?? MoFA (@ForeignOfficePk) August 12, 2020
दरअसल पाकिस्तान को ईशनिंदा कानून ब्रिटिश शासन से विरासत में मिला है। 1860 में ब्रिटिश शासन ने धर्म से जुड़े अपराधों के लिए कानून बनाया था जिसका विस्तारित रूप आज का पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून है। मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडैरिटी एंड पीस के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है। जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति रिवाज से निकाह करवा दिया जाता है। पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 12 साल से 25 साल के बीच में होती है।