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‘मौलाना मुलायम’ पर फक्र लेकिन योगी के ‘अब्बा जान’ बयान पर बवाल, फर्जी सेक्युलर लॉबी के हाय-तौबा की सच्चाई

Uttar Pradesh: योगी आदित्यनाथ का विरोध करने वालों का एजेंडा साफ है। सीएम के बयान को अल्पसंख्यक विरोधी और एक खास कौम को टारगेट करना वाला पेश कर के भाजपा सरकार को मुस्लिम-विरोधी प्रस्तुत करना।

कुशीनगर के एक रैली में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ ने ‘अब्बा जान’ क्या बोला कि प्रदेश और पूरे देश में सियासी बवाल मच गया है। विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर सीधे सीएम योगी पर निशाना साध रही हैं। कांग्रेस ने तो मुख्यमंत्री को ओछी और गंदी सोच वाला व्यक्ति तक बता दिया है। सपा, कांग्रेस और मुस्लिमों के स्वघोषित मसीहा ओवैसी किसी ने मुख्यमंत्री पर पलटवार करने में कोई कमी नहीं छोड़ी है, वहीं ट्विटर पर फर्जी सेक्लूयर लॉबी ने त्राहिमाम मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। 2022 चुनावों के मद्देनजर और योगी की लोकप्रियता को लेकर विपक्ष की तिलमिलाहट तो समझ आती है लेकिन जो लोग एक एजेंडा के तहत योगी सरकार पर हमलावर हो रहे हैं, क्या वो एक खास मंशा से प्रेरित है। इसका जवाब है हां।

Owaisi and Yogi
अब्बाजान कहकर सीएम योगी ने एक परिवार पर कटाक्ष किया है। उनका निशाना मुलायम और अखिलेश राज में हो रही तुष्टीकरण और ‘सार्वजनिक लूट’ पर था कि “अब्बाजान कहने वाले सारा राशन हजम कर जाते थे और गरीबों को कुछ नहीं मिलता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।” योगी आदित्यनाथ का विरोध करने वालों का एजेंडा साफ है। सीएम के बयान को अल्पसंख्यक विरोधी और एक खास कौम को टारगेट करना वाला पेश कर के भाजपा सरकार को मुस्लिम-विरोधी प्रस्तुत करना।

मुख्यमंत्री योगी का बयान भ्रष्टाचार करने वालों और अब्बाजान कहने वालों पर वार था लेकिन भाजपा को मुस्लिम विरोधी बताने में फ्रर्जी लॉबी सारे हथकंडे आजमा रही है। क्योंकि यह सभी जानते हैं कि अब्बाजान कहने वाले और जालीदार टोपी लगाकर इफ्तार करने वाले कौन हैं। मुलायम यादव, लालू यादव और कई नेताओं की इफ्तार पार्टी की तस्वीरें किसी से छुपी नहीं है।

आखिर मुलायम सिंह को ‘मौलाना मुलायम’ कहने पर किसी को कभी कोई पीड़ा नहीं हुई, उल्टा उनकी इस इमेज को बढ़ा-चढ़ा कर प्रचारित किया गया।

फर्जी सेक्यूलरिज़म की पोल खोल… यहां देखें-

1- जिन्हें जीवन में आज तक डब्बा का मतलब पता नहीं होगा, वे भी अब्बा को अपनी जान बनाने पर तुले हैं। ये फ़र्ज़ी सेक्युलरिज़्म का वो कीड़ा है जो योगी का नाम सुनते ही काटना शुरू कर देता है। अगर योगी जिन्ना को राक्षस बोल दें तो ये लोग मंदिर में जिन्ना की तस्वीर सज़ा लेंगे।

2-जिन्होंने अपने पिता को आज तक पिता नही कहा।उन्हें डैड, डैडी, पॉप और बाप्स कहकर जीवन भर अंग्रेजों के गुलाम बने रहे, वे अचानक ही सेक्युलर हो उठे हैं। आज उनके डैडी अचानक ही अब्बाजान में तब्दील हो गए हैं। सेक्युलरिज़्म के नटवरलालों की यही सबसे बड़ी पहचान है।

3- फिर अब्बाजान ही क्यों? खाला जान, खालू जान, फूफी जान, फूफाजान सबको बदल दीजिये। सीधे-सीधे कलमा पढ़कर अपनी जान ही उनके हवाले कर दीजिए। सिर्फ ट्विटर पर बहादुर बनने से क्या होगा?

4- और जो अब्बाजान वाले हैं, उन्हें कभी आपने पिता कहते देखा? उनके लिए वालिद होते हैं, पिता नही। फंडा एकदम क्लियर है।

5- योगी ने तो भ्रष्टाचार करने वालों की बात की है। अब्बाजान कहने वाले, जालीदार टोपी लगाकर इफ्तार करने वाले कौन हैं, पूरे देश को पता है। इनका परिवार ही गरीबों की नौकरी पर डाका डालता था। इसमें आपकी क्यों सूजी है? क्या उस ऊपरी कमाई में आपका भी हिस्सा था जो कलेजे में बरछी चुभ गयी है।

6- योगी के बयान का एक एक लफ्ज़ क्लियर है। उन्होंने साफ तौर पर ‘परिवार’ का ज़िक्र किया है। उन्होंने कहा कि पूरा परिवार झोला लेकर वसूली के लिए निकल पड़ता था। अब्बा जान कहने वाले राशन हजम कर जाते थे। आखिर परिवार की बातों से किसी कौम को तकलीफ़ कैसे हो सकती है? जब तक उस परिवार और कौम के बीच कोई कनेक्शन न हो!

7- खुद को मौलाना मुलायम कहने पर फ़क्र करने वालों की, आज अब्बाजान पर क्यों चाक हो रही है? देश का मौसम बदल चुका है, इसलिए!