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Rahul Gandhi: लीज़ का मतलब बेचना समझते हैं, ये है राहुल गांधी की समझ, खुद बेचे थे हवाई अड्ड़े!  

Rahul Gandhi: यानि राहुल गांधी ने इस बार अपने डराने वाले एजेंडे की खातिर खासकर रेल कर्मियों को टारगेट किया। मगर  यहां भी उनकी सोच का दीवालियापन ही सामने आया। राहुल गांधी जिसे बेचना कहते हैं, असल में वो लीज पर देने का फैसला है। इसका मतलब है कि रेलवे हो या सड़क, मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा और सरकार जब चाहेगी लीज एग्रीमेंट को कैंसिल करके उसका मैनेजमेंट अपने हाथ ले लेगी।

नई दिल्ली। राहुल गांधी देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता हैं। मगर उनके भीतर समझ की ज़बरदस्त कमी उन्हें हंसी का पात्र बनाती है। राहुल गांधी ने मोदी सरकार की एसेट मोनेटाइजेशन स्कीम के मामले में भी इसी तरह से अपनी जगहंसाई करवाई।  राहुल ने कहा कि मोदी ने सबसे पहले ईमान बेचा। राहुल ने मोदी सरकार की एसेट मोनेटाइजेशन स्कीम को राष्ट्रीय मित्रि करण योजना करार दिया। साथ ही इसके आगे रोड, रेल, एयरपोर्ट, बिजली, गैस, पेट्रोल, माइन, स्टेडियम और गोदाम का जिक्र किया। राहुल ने कहा, “जो भी 70 साल में इस देश की पूंजी बनी थी, उसको बेचने का फैसला ले लिया है। मतलब प्रधानमंत्री ने सब कुछ बेच दिया। रेलवे जो इस देश की रीढ़ की हड्डी है, डेढ़ लाख करोड़ रुपए रेलवे से, 400 स्टेशन, 150 ट्रेन, रेलवे ट्रैक और मालगोदाम और जो हमारे रेलवे के कर्मचारी हैं, आप भी बात समझ लीजिए, जब ये रेलवे से छीनकर किसी प्राइवेट कंपनी को दिया जाएगा तो आप समझ लीजिए कि आपके रोज़गार का क्या होने वाला है?”

यानि राहुल गांधी ने इस बार अपने डराने वाले एजेंडे की खातिर खासकर रेल कर्मियों को टारगेट किया। मगर  यहां भी उनकी सोच का दीवालियापन ही सामने आया। राहुल गांधी जिसे बेचना कहते हैं, असल में वो लीज पर देने का फैसला है। इसका मतलब है कि रेलवे हो या सड़क, मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा और सरकार जब चाहेगी लीज एग्रीमेंट को कैंसिल करके उसका मैनेजमेंट अपने हाथ ले लेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये साफ किया कि मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा और एक निश्चित समय के बाद संपत्तियों की अनिवार्य तौर पर वापसी होगी।

Finance Minister Nirmala Sitharaman

यानि राहुल गांधी फिर से बुरी तरह एक्सपोज़ हुए। मगर ये हिट और रन राहुल गांधी आज से नही कर रहे। मोदी सरकार ने जब चार हवाई अड्ड़ों में अपनी बची हुई हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया तो राहुल ने ये लिखा, “बनाना नही, सिर्फ बेचना जानता है।” ये भाषा बताती है कि राहुल गांधी के भीतर पीएम मोदी के लिए कितना ज़हर भरा हुआ है। जबकि सच्चाई है कि छह हवाई अड्डों को प्राइवेट हाथों में देने का फैसला 30 अगस्त 2013 को कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने किया था। राहुल गांधी अगर थोड़ा भी पढ़ने लिखने में यकीन रखते तो इस सच्चाई से वाकिफ होते।