newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Farmers: लौटने लगे आंदोलनकारी किसान, लेकिन राकेश टिकैत के अलग सुर; अब दी ये तारीख

किसान आंदोलन खत्म हो गया है। दिल्ली के बॉर्डरों से किसान घरों को लौटने लगे हैं, लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत के बोल कुछ अलग ही हैं। एक टीवी चैनल से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि मैं अभी नहीं जाऊंगा।

नई दिल्ली। किसान आंदोलन खत्म हो गया है। दिल्ली के बॉर्डरों से किसान घरों को लौटने लगे हैं, लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत के बोल कुछ अलग ही हैं। एक टीवी चैनल से बातचीत में राकेश टिकैत ने कहा कि मैं अभी नहीं जाऊंगा और बॉर्डर खाली होने में अभी 4 से 5 दिन का टाइम लगेगा। राकेश टिकैत से जब ये पूछा गया कि चुनावों में बीजेपी का पक्ष लेंगे या विरोध करेंगे, तो उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में फैसला नहीं लिया गया है। राकेश टिकैत के मुताबिक देशभर में हजारों जगह धरने चल रहे हैं। उन्हें पहले खत्म कराकर लोगों को घर भेजा जाएगा। फिर दिल्ली की सीमाओं पर बैठे किसानों का बड़ा जत्था कल यानी रविवार को सुबह 8 बजे जाएगा। राकेश टिकैत ने कहा कि वो खुद जमे रहेंगे और 15 दिसंबर को घर लौटेंगे।

rakesh tikait

राकेश टिकैत के ये बोल इस वजह से निकल रहे हैं क्योंकि संयुक्त किसान मोर्चा ने उन्हें भाव देना बंद कर दिया है। टिकैत के बारे में मोर्चा के सदस्य दर्शनपाल सिंह पहले ही कह चुके कि बीकेयू नेता को सोच-समझकर बयान देना चाहिए। मोर्चा ने किसानों के मुद्दों पर केंद्र से बातचीत के लिए 5 सदस्यों की जो कमेटी बनाई है, उसमें भी टिकैत नहीं हैं। ऐसे में टिकैत का बयान बता रहा है कि वो नाराज हैं और अब भी किसानों का सबसे बड़ा नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं। बता दें कि टिकैत परिवार का यूपी के मुजफ्फरनगर इलाके में खासा प्रभाव है। वो खुद सिसौली कस्बे के रहने वाले हैं।

Farmers protest

राकेश टिकैत भारतीय किसान यूनियन यानी बीकेयू के नेता हैं। उनके बड़े भाई नरेश टिकैत बीकेयू के अध्यक्ष हैं। टिकैत के पिता स्वर्गीय चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत किसानों के बड़े नेता हुआ करते थे। चौधरी महेंद्र सिंह ने एक बार किसानों के साथ दिल्ली के बोट क्लब पर लंबा धरना दिया था और सरकार से अपनी मांगें मनवाकर ही वहां से गए थे। महेंद्र सिंह इतने जबरदस्त नेता थे कि एक बार अपने धरने में यूपी के तत्कालीन सीएम और अब दिवंगत वीर बहादुर सिंह को भी मंच पर आने से रोक दिया था और वीर बहादुर सिंह को उल्टे पैर लखनऊ लौटना पड़ा था।