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PM Narendra Modi Praised Om Birla : आपातकाल पीड़ितों के सम्मान में मौन खड़े रहना भी एक अद्भुत भाव, पीएम नरेंद्र मोदी ने की ओम बिरला की सराहना

PM Narendra Modi Praised Om Birla : प्रधानमंत्री ने ओम बिरला के भाषण की सराहना करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, मुझे खुशी है कि लोकसभा अध्यक्ष ने आपातकाल की कड़ी निंदा की। वहीं बीजेपी के अन्य सांसदों ने भी लोकसभा स्पीकर द्वारा सदन में आपातकाल पर प्रस्ताव लाए जाने को उचित करार देते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा।

नई दिल्ली। लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा अपने पहले ही भाषण में आपातकाल की निंदा करना जहां विपक्ष को खल गया है वहीं सत्ता पक्ष द्वारा इसकी सराहना की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ओम बिरला के भाषण की सराहना करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, मुझे खुशी है कि माननीय लोकसभा अध्यक्ष ने आपातकाल की कड़ी निंदा की, उस दौरान हुई ज्यादतियों पर प्रकाश डाला और जिस तरह से लोकतंत्र का गला घोंटा गया, उसका भी जिक्र किया। लोकसभा में 2 मिनट का मौन रखे जाने पर पीएम ने कहा कि आपातकाल दौरान पीड़ित सभी लोगों के सम्मान में मौन खड़े रहना भी एक अद्भुत भाव था।

पीएम मोदी ने कहा कि आपातकाल भले ही 50 साल पहले लगाया गया था लेकिन आज के युवाओं को इसके बारे में जानना ज़रूरी है क्योंकि यह इस बात का एक उपयुक्त उदाहरण है कि जब संविधान को कुचल दिया जाता है, जनता की राय दबा दी जाती है और संस्थानों को नष्ट कर दिया जाता है तो क्या होता है। आपातकाल के दौरान हुई घटनाओं ने उदाहरण दिया कि तानाशाही कैसी होती है।

वहीं केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि आज लोकसभा अध्यक्ष की ओर से हमने यह संकल्प लिया है कि जिस तरह आपातकाल के दौरान संविधान को नष्ट किया गया, वैसा दोबारा न हो, हम संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। मैं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला का धन्यवाद देता हूं जिन्होंने सबके मतानुसार यह प्रस्ताव सदन में रखा।

बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मैं ओम बिरला का अभिनंदन करता हूं जिन्होंने आज संसद में आपातकाल पर प्रस्ताव पेश किया। सिर्फ इंदिरा गांधी की कुर्सी बचाने के लिए ही संविधान को खत्म करते हुए आपातकाल लागू किया गया था। वहीं बीजेपी सांसद लुंबाराम चौधरी ने कहा कि कांग्रेस और विपक्ष के नेता कह रहे हैं कि संविधान खतरे में है, ऐसे में देश को और खासतर युवाओं को यह पता चलना चालिए कि संविधान का गला किसने घोंटा था।