नई दिल्ली। गुजरात हाईकोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने सामाजिक कार्यकर्ता को तुरंत कोर्ट में सरेंडर करने के लिए कहा है। दरअसल, तीस्ता पर आरोप है कि उन्होंने गुजरात दंगा मामले में एसआईटी द्वारा पीएम मोदी को क्लीनचिट दिए जाने के बावजूद भी उनके खिलाफ गलत तरीके से सबूत एकत्रित किया था। इस मामले में पुलिस ने उनके खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें 25 जून 2022 को गिरफ्तार भी किया था। वो एक माह तक जेल में भी रही थीं। हालांकि, इसके बाद मामला जब सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो उन्हें बड़ी राहत मिल गई। शीर्ष कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दिया।
उनके साथ इस साजिश में आईपीएस संजीव भट्ट और राज्य के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार कुमार भी शामिल थे। इनके खिलाफ भी कानून का हंटर चला था। तीस्ता पर आरोप है कि उन्होंने एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी के साथ मिलकर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ गुजरात दंगा मामले में गलत तरीके से सबूत एकत्रित किए थे। इस संदर्भ में शीर्ष अदालत ने कहा था कि ऐसे दुरूपयोग में शामिल लोगों को कठघरे में खड़ा करना चाहिए। एसआईटी ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया था कि उन्होंने गुजरात दंगे में बड़े पैमाने पर हुई मौतों का जिम्मेदारी तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ठहराया था, जबकि उन्हें इस मामले में अब क्लीनचिट दिया जा चुका है। बता दें कि इससे पहले कोर्ट ने जाकिया जाफरी की उस याचिका को खारिज कर दिया गया था, जिसमें दाखिल की गई क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी गई थी। दरअसल, एसआईटी ने सबूतों के अभाव में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दिया था। गौरतलब है कि गुजरात 2002 के दंगों के दौरान अहमदाबाद के गुलबर्गा सोसायटी में दंगा हुआ था, जिसमें एहसान जाफरी समेत 69 लोग मारे गए थे। इस मामले में 11 लोगों को उम्रकैद और 24 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। वहीं, इसके बाद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने इसका गुनाहगार प्रधानमंत्री मोदी को बताया और आगे कानूनी लड़ाई लड़ने का फैसला किया। इसमें उनका साथ दिया सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने।
इसी कड़ी में 2006 में जाकिया जाफरी ने कोर्ट में नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के संदर्भ में आवेदन दिया था। 2007 में इसे मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया गया। वहीं, 2008 में इस मामले की जांच के लिए सीबीआई निदेशक आर के राघवन की अगुवाई में एसआईटी का गठन किया गया था। इसके बाद एसआईटी ने नरेंद्र मोदी पर लगाए गए आरोपों को लेकर जांच का सिससिला शुरू किया। इस संदर्भ में 2009 में उनसे 9 घंटे तक लगातार पूछताछ की गई। इसके बाद 2013 में कोर्ट ने यह कहकर याचिका खारिज कर दी कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई मामला बनता हुआ नजर नहीं आ रहा है। 2014 में कोर्ट ने एसआईटी की जांच को चुनौती देने वाली याचिका को सुनने से इनकार कर दिया। जाकिया ने कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट ने चुनौती दी। इसके बाद 2018 में जाकिया ने सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल की। वहीं, कई सुनवाई के बाद कोर्ट ने एसआईटी की तारीफ की और नरेंद्र मोदी को गलत तरीके से क्लीनचिट देने जैसे आरोप लगाने वाली तीस्ता सीतलवाड़ के खिलाफ कानून कार्रवाई का निर्देश दिया , जिसके बाद नतीजतन आज कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी।