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Varanasi: काशी के अर्धचंद्राकार घाटों की बदलेगी सूरत, पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

Varanasi: पर्यटन विभाग आइलैंड से पैराग्लाइडिंग, स्कूबा डाइव सहित अन्य एक्टिविटी से संबंधित सुविधाएं देगा। सी-बीच की तरह विकसित हो रहे गंगा के छोर पर ऊंट, हाथी और घोड़े की सवारी भी पर्यटक कर सकेगा। महत्वपूर्ण त्योहारों पर श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगा सकेंगे। अर्धचन्द्राकार घाटों पर देवदीपवली पर जलने वाले दीपों की खूबसूरती भी इस आइलैंड से निहारा जा सकेगा।

वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अर्धचंद्राकार घाटों की सूरत योगी सरकार बदलने जा रही है। इससे पर्यटन के लिए मुफीद बनाया जाएगा जिससे कि ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित किया जाएगा। राज्य सरकार के इस कदम से आस्था के साथ पर्यटन को नए आयाम मिलने जा रहा है। दरसअल गंगा के पार इकट्ठी हुई रेत को न हटने से गंगा की धारा से काशी के घाटों के किनारे खड़ी सदियों की विरासत, ऐतिहासिक धरोहरों पर खतरा मंडराने लगा था। इस ओर योगी सरकार ने अपना ध्यान आकृष्ट किया। कछुआ सेंचुरी को शिफ्ट करवाया दिया है, जिससे रेत पर ड्रेजिंग का काम तेजी से चल रहा है। लंबा चैड़ा कैनाल भी बनाया जा रहा है। जिससे पर्यटन को नई उड़ान मिलेगी।

Narendra Modi Varanasi Project

रामनगर इलाके में रेती जमा होने से गंगा का प्रवाह बदल गया है। काशी के पक्के घाटों पर पानी का दबाव बढ़ गया है। जिसके चलते घाट के सीढ़ियों के नीचे खोखला हो गया है। घाटों के किनारे सदियों से खड़ी की इमारतों पर खतरा मंडराने लगा था। सरकार ने सबसे पहले इस इलाके से कछुआ सेंचुरी को शिफ्ट करवाया। जिसके चलते गंगा पार जमी रेती पर से खनन का प्रतिबन्ध हटा गया। अब हालत कुछ सुधर रही है।

उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट कॉपोर्रेशन के प्रोजेक्ट मैनेजर पंकज वर्मा ने बताया, ” सामने घाट से लेकर राजघाट तक गंगा पार रेती पर 11.95 करोड़ की लगत से ड्रेजिंग करके 5.3 किलोमीटर लम्बी और करीब 45 मीटर चौड़ी कैनाल को विकसित किया जा रहा है। रेत के टीले के बीच से चैनल बनने से अर्धचन्द्राकार घाटों की ओर गंगा का प्रवाह कम होगा। जिससे घाटों की ओर कटान भी कम होगा। सैकड़ो साल पुरानी काशी की धरोहर सदियों तक के लिए सुरक्षित हो जाएगी । इस पूरे प्रोजेक्ट में खर्च होने वाले रकम का करीब 40 से 50 प्रतिशत पैसा रेत या बालू के नीलामी से अर्जित करने की योजना है। ड्रेजिंग का काम तेजी से चल रहा है। जिससे मानसून आने के पहले ये काम खत्म हो जाए। ”

Narendra Modi Varanasi Project

उन्होंने बताया, ” इस योजना से घाटों की सीढ़ियों के नीचे की खाली जगह और घाटों के किनारे का गहराई कम हो जाएगी। इस जगह को करीब एक साल में गंगा के प्रवाह के साथ आने वाली सिल्ट स्वत: भर देगी। पर्यावरण व गंगा पर काम करने वाले वैज्ञानिक लम्बे समय से कछुआ सेंचुरी हटाने की सलाह दे रहे थे। ”

वाराणसी मंडल के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने बताया, ”इस प्रोजेक्ट से घाटों को कटान से बचाया जा सकेगा। साथ ही गंगा के उस पार रेत में बीच, आइलैंड जैसा विकसित किया जा रहा है, जिससे पर्यटक कुछ दिन और काशी में रुक सके। अस्सी घाट के दूसरी तरफ रामनगर में रेती पर बीच जैसा माहौल बनाया जाएगा और टापू को विकसित कर सैलानियों के लिए तैयार किया जाएगा। ”

पर्यटन विभाग आइलैंड से पैराग्लाइडिंग, स्कूबा डाइव सहित अन्य एक्टिविटी से संबंधित सुविधाएं देगा। सी-बीच की तरह विकसित हो रहे गंगा के छोर पर ऊंट, हाथी और घोड़े की सवारी भी पर्यटक कर सकेगा। महत्वपूर्ण त्योहारों पर श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगा सकेंगे। अर्धचन्द्राकार घाटों पर देवदीपवली पर जलने वाले दीपों की खूबसूरती भी इस आइलैंड से निहारा जा सकेगा। खुद इस टापू पर जलने वाले दीप भी इसकी खूबसूरती को चार चाँद लगाएंगे। इस कार्ययोजना को प्रभावी बनाने के लिए पब्लिक- प्राइवेट पार्टनरशिप का सहारा भी लिया जा सकता है। गंगा पार पर्यटन का नया ठिकाना बनने से नाविकों समेत पर्यटन उद्योग से जुड़े सभी की आय बढ़ने की भी उम्मीद है।