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Arun Jaitley: देश के पूर्व वित्तमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता रहे अरुण जेटली की तीसरी पुण्यतिथि आज,कैसा रहा इनका विद्यार्थी परिषद से भाजपा तक का सफर

Arun Jaitley: चुनाव जीतने में जेटली के रिकॉर्ड भले ही उतना सही ना रहा हो लेकिन वे एक मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में क्राइसेस मैनेजर साथ सदन में अपनी पार्टी का  पक्ष मजबूती के साथ रखने के लिए जाने जाते थे

नई दिल्ली। पूर्व वित्तमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता रहे अरुण जेटली के फैसले भले ही चौंकाने वाले रहे हों, लेकिन उनकी इमेज पार्टी का पक्ष मजबूती के साथ रखने वाली रही है। बीजेपी से जुड़े हर विवाद में वो मजबूती के साथ खड़े रहे। ग्रेजुएशन से ही कॉलेज पॉलिटिक्स में एक्टिव रहने वाले जेटली का कनेक्शन देश में लागू हुए आपातकाल से रहा है। साल 1973 में जब बिहार में भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का आरम्भ हुआ तो उस क्षण के अहम नेताओं में जेटली भी शामिल रहे। यह भारत के पूर्व वित्तमंत्री, भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता और एक अच्छे वकील थे। अरुण जेटली की 24 अगस्त को तीसरी पुण्यतिथि है। चुनाव जीतने में जेटली के रिकॉर्ड भले ही उतना सही ना रहा हो लेकिन वे एक मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में क्राइसेस मैनेजर साथ सदन में अपनी पार्टी का  पक्ष मजबूती के साथ रखने के लिए जाने जाते थे।

अरुण जेटली का कार्यकाल

90 के दशक में से वो देश की सक्रिय राजनीति का भाग लिया और उन्हें बीजेपी का प्रवक्ता नियुक्त किया गया। साल 1999 में वाजपेयी सरकार में उन्हें सूचना और प्रसारण मंत्री बनाया और साल 2000 में कानून मंत्रालय का भी प्रभार संभाला। मोदी सरकार में जेटली ने बतौर वित्तमंत्री जीएसटी और नोटबंदी जैसे फैसले लिए। जीएसटी काउंसिल के गठन करने का श्रेय भी इन्हें दिया जाता है उन्होंने देश के वित्त मंत्रालय के साथ जरूरत पड़ने पर रक्षा मंत्रालय का भी पद भी संभाला था। लेकिन अरुण जेटली के राजनैतिक करियर बहुत बड़ा है। उनके सभी पार्टी के लोगों से अच्छे संबंधों का राज भी इसी इतिहास में छिपा था।

विद्यार्थी परिषद से भाजपा तक

अपने कॉलेज के दिनों में ही जेटली दिल्ली यूनिवर्सिटी के कैम्पस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्र नेता रहे है और साल 1974 में डियू के स्टूडेंट यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष भी रहे है। आपातकाल के विरोध में वे 19 महीनों तक जेल में रहे। जेल से छूटने के बाद वे जनसंघ में शामिल हो गए थे। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दिल्ली शाखा के अध्यक्ष होने के बाद वे परिषद के अखिल भारतीय सचिव भी बने। साल 1980 में भारतीय जनता पार्टी के बनने पर वे उसकी दिल्ली ईकाई के सचिव बनाए गए।