नई दिल्ली। 70 सालों के बाद भारत में एक बार फिर से चीते की दहाड़ सुनने को मिलेगी। भारत की सरजमीं पर अफ्रीकी चीते एक बार फिर दौड़ते नजर आएंगे। 17 सितंबर को नामीबिया से आठ चीते भारत लाए जा रहे हैं। बता दें कि 1952 में भारत में चीते विलुप्त घोषित कर दिए गए थे। वो शनिवार को फिर से आबाद हो जाएंगे। नामीबिया की राजनधानी विंडहोक से एक विशेष बी747 विमान 8 चीते आज शाम को भारत के लिए रवाना होंगे। उन्हें विमान से पहले ग्वालियर लाया जाएगा और फिर सेना के हेलीकाप्टर से मध्य प्रदेश के शिवपुर के कुनो नेशनल पार्क में छोड़ दिया जाएगा। कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन पर इन चीतों को नेशनल पार्क में छोड़ेगे। इसी बीच नामीबिया से भारत आने वाले चीतों की पहली झलक सामने आ चुकी है। वीडियो में देखा जा सकता है कि इंडिया आ रहे चीते मेडिकल चेकअप के बाद एक नामीबिया के पार्क में बिंदास दिखाई दे रहे हैं। आपको बता दें कि अफ्रीकी देश नामीबिया की राजधानी विंडहोक से तूफानी रफ्तार के लिए मशहूर चीते शुक्रवार शाम को भारत के लिए उड़ान भरेंगे।
#WATCH | First look of Cheetahs that will be brought from Namibia to India on 17th September at KUNO National Park, in Madhya Pradesh pic.twitter.com/HOjexYWtE6
— ANI (@ANI) September 16, 2022
इसके अलावा नामीबिया के जिस नेशनल पार्क से इन चीतों को लाया जा रहा है वो चीतों के घर के लिए मशहूर है। इस पार्क में चीतों की काफी अच्छी खासी तदाद है। इंसानी बस्तियों की तरह यहां चीतों की देखरेख के लिए पूरे इंतजाम भी है। नामीबिया से भारत चीते लाने के लिए बेहद खास तैयारियां भी की गई है। जिस विशेष विमान चीतों को भारत लाया जा रहा है उस विमान के मुखड़े पर चीते की शक्ल की पेटिंग की गई है। इसके अलावा विमान के अंदर के हिस्से को खास तरीके से Modified किया गया है। विमान में चीतों के अलावा चालक दल के सदस्य,डॉक्टर और चीता एक्सपर्ट सवार होंगे।
चलिए अब आपको बताते है कि आखिर नामीबिया से 8 चीतों को लाकर भारत में क्यों बसाया जा रहा है। बता दें कि इन चीतों को विशेष चीता प्रोजक्ट के तहत भारत लाया जा रहा है। सरकार ने 1952 में देश में चीतों विलुप्त करार दे दिया था। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के वन में साल 1948 में आखिरी चीता दिखा था। 8 चीतों को भारत लाने के प्लान पर नामीबिया में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त करीबी नजर बनाए हुए है। वो नामीबिया के नेशनल पार्क जाकर खुद पूरे मिशन को देख रहे है।
नामीबिया इन मेहमानों का हर कोई बेस्रबी से इंतजार कर रहा है और शनिवार को ये चीते भारत की धरती पर होंगे। करीब 7 दशक बाद भारत की धरती पर चीते दौड़ते नजर आएंगे। चीते को बसाने के लिए साल 2010 में भारत सरकार ने नामीबिया से बातचीत शुरू की। लेकिन नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीता लाने का समझौता जुलाई 2022 में हुआ और इसी समझौते के तहत पहली कड़ी में 8 चीते भारत पहुंच रहे है। बता दें कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई मांसाहारी जानवर एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में भेजा जा रहा है। 5 साल तक इन चीतों की देखरेख में करीब 75 करोड़ रुपये खर्च होंगे।