कोलकाता। आए दिन किसी न किसी मसले पर पश्चिम बंगाल में विवाद खड़ा होता है। चाहे वो शिक्षकों की भर्ती में घूस लिए जाने का मसला हो या संदेशखाली जैसा महिला उत्पीड़न का कथित आरोप हो। अब पश्चिम बंगाल में सीता और अकबर को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सीता और अकबर शेर और शेरनी हैं। इनको त्रिपुरा के सिपाहीजल चिड़ियाघर से सिलिगुड़ी सफारी पार्क लाया गया है। शेर का नाम अकबर होने और शेरनी का नाम सीता होने से विश्व हिंदू परिषद यानी वीएचपी भड़क गई है। उसने इसका विरोध करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट की जलपाईगुड़ी स्थित सर्किट बेंच में मुकदमा कराया है।
शेर और शेरनी का नाम अकबर और सीता होने के खिलाफ वीएचपी के कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को डीएफओ के दफ्तर पर भी जमकर विरोध प्रदर्शन किया था। वीएचपी की मांग है कि शेरनी का नाम बदला जाए। इससे पहले वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने इसे मन को झकझोरने वाला बताया था। विनोद बंसल ने कहा था कि पता चलना चाहिए कि शेर और शेरनी का अकबर और सीता नाम किसने रखा। उन्होंने इसकी गहन जांच की जरूरत बताई थी। वीएचपी के मुताबिक शेर और शेरनी का नाम इस तरह रखे जाने से हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंची है।
The Bengal wing of the Vishwa Hindu Parishad (VHP) has moved the Calcutta High Court’s Circuit Bench at Jalpaiguri, challenging the forest department’s move to allegedly keep a lion named ‘Akbar’ with a lioness named ‘Sita’ in the same enclosure at Siliguri’s Safari park.
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वीएचपी की अर्जी पर कलकत्ता हाईकोर्ट की सर्किट बेंच 20 फरवरी को सुनवाई करने वाला है। पहली बार ऐसा हुआ है, जब देश में जंगली जानवरों के इस तरह नाम पर विवाद खड़ा हुआ है। इस विवाद में अब ममता बनर्जी की सरकार को भी लपेटे में लिया गया है। जाहिर है, कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार को जवाब देना होगा। हालांकि, शेरनी का नाम बदलना संभव नहीं लगता है। इसकी वजह ये है कि लंबे समय से एक ही नाम से पुकारे जाने के कारण वो इसके प्रति अभ्यस्त हो जाते हैं। विवाद से बचा रास्ता सिर्फ एक ही है कि किसी अन्य नाम की शेरनी को अकबर नाम के शेर के साथ बाड़े में रखा जाए। अब देखना है कि ममता सरकार की तरफ से ये कदम उठाया जाता है, या विवाद और बढ़ता है।