भोपाल/रायपुर। मध्यप्रदेश की 230 और छत्तीसगढ़ की 90 में से 70 विधानसभा सीटों के लिए कल यानी शुक्रवार को वोटिंग होगी। दोनों राज्यों में सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग कराई जाएगी। मध्यप्रदेश में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस में है। हालांकि, यहां सपा, बीएसपी और आम आदमी पार्टी के भी उम्मीदवार मैदान में हैं। इस वजह से मुकाबला तमाम जगह त्रिकोणीय हो गया है। छत्तीसगढ़ में कल 70 सीटों पर 958 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला वोटर करेंगे। यहां की 20 सीटों पर 7 नवंबर को वोटिंग हो चुकी है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के नतीजे भी राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम के साथ 3 दिसंबर को ही आएंगे। मध्यप्रदेश में कल 5.6 करोड़ वोटर अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे। इनमें पुरुष वोटर 2.88 करोड़ और महिला वोटर 2.72 करोड़ हैं। पहली बार 22.36 लाख युवा भी वोट डालेंगे। मध्यप्रदेश की आबादी में 22 फीसदी सामान्य वर्ग के लोग हैं। जबकि, ओबीसी का प्रतिशत 33 है। अनुसूचित जनजाति की आबादी 21 और मुस्लिमों की 8 फीसदी है।
बीजेपी ने अपने केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में उतारा है। दिमनी सीट पर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के सामने कांग्रेस के रवींद्र सिंह तोमर हैं। नरसिंहपुर में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल का मुकाबला कांग्रेस के लाखन सिंह पटेल कर रहे हैं। बीजेपी के फग्गन सिंह कुलस्ते का मुकाबला कांग्रेस के चैन सिंह वरकडे से है। जबलपुर में राकेश सिंह और कांग्रेस के तरुण भनोट आमने-सामने हैं। सीधी सीट पर बीजेपी की रीति पाठक और कांग्रेस के ज्ञान सिंह मैदान में हैं। सतना सीट पर गणेश सिंह और कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा में टक्कर है। गाडरवारा सीट पर बीजेपी के उदय प्रताप सिंह और कांग्रेस की सुनीता पटेल में मुकाबले की उम्मीद है। इंदौर-1 सीट पर बीजेपी के कैलाश विजयवर्गीय और कांग्रेस के संजय शुक्ला आमने-सामने हैं। बीजेपी और कांग्रेस के लिए मध्यप्रदेश का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है। इसकी वजह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव हैं। मध्यप्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं। मध्यप्रदेश एक बड़ा राज्य और देश का दिल कहा जाता है। जो भी पार्टी यहां जीतेगी, वो खुद को दूसरे के मुकाबले ताकतवर साबित करने में कसर नहीं रखेगी।
अगर 2018 में मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव नतीजों की बात करें, तो कांग्रेस ने 114 सीटें जीती थीं। बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं। सपा ने कांग्रेस को समर्थन दिया था और इससे कमलनाथ सीएम बन गए थे। डेढ़ साल में ही कांग्रेस की सरकार उस वक्त मध्यप्रदेश में गिर गई, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी। सिंधिया की बगावत के बाद उनके समर्थक 22 विधायक बीजेपी के साथ हो लिए और फिर शिवराज सिंह चौहान ने सरकार बना ली। कांग्रेस लगातार इस मुद्दे को भी उठाती है और बीजेपी को पटकनी देकर बदला चुकाने की फिराक में है। अब आपको बताते हैं कि छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनाव नतीजे क्या रहे थे। छत्तीसगढ़ में 90 सीटों में से 68 पर 2018 में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। बीजेपी को सिर्फ 15 सीटें मिली थीं। वहीं, अन्य के खाते में 7 सीटें गई थीं। छत्तीसगढ़ की आबादी में अनुसूचित जनजाति यानी आदिवासियों का हिस्सा 35 फीसदी है। वहीं, राज्य में 18 फीसदी अनुसूचित जाति और 47 फीसदी ओबीसी आबादी भी रहती है। इस तरह इन समुदायों के वोट हासिल करने के लिए कांग्रेस और बीजेपी में जंग छिड़ी हुई है।