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Gyanvapi Survey: कैसा था ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के बाद वहां मौजूद लोगों का रिएक्शन? जानकर उड़ जाएंगे आपके भी होश

Gyanvapi Survey:  इस संदर्भ में सोहनलाल आर्या ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा कि वैसे तो हमने सर्वे के दूसरे दिन ही वजूखाने से पानी हटाने के लिए कहा था, लेकिन मुस्लिम पक्षों ने विरोध किया, मगर सर्वे के तीसरे यानी की अंतिम दिन वजूखाने के पानी को हटाने की बात कही गई, तो किसी ने भी विरोध नहीं किया।

नई दिल्ली। चलिए, अभी आपको लिए चलते हैं वाराणसी। जहां ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चर्चागोशियों का खुमार अपने शबाब पर है। गली मोहल्ले चौराहे, हर जगह लोगों की जमात ज्ञानवापी मस्जिद पर चर्चाओं का बाजार गुलजार करने में मसरूफ है। सभी के अपने-अपने तर्क हैं। कोई वहां मस्जिद होने की पैरोकारी कर रहा है, तो कोई मंदिर होने की वकालत कर रहा है, लेकिन इस पूरे मसले पर अंतिम फैसला तो कोर्ट ही करेगी, चूंकि मसला कोर्ट में विचाराधीन है। अभी तीन दिनी ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे संपन्न हुआ है। दो दिन बाद कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। वैसे तो आज ही होनी थी। लेकिन अधिवक्ता विशाल ने दो दिन मोहलत की मांग की है। अब देखना होगा कि कोर्ट की तरफ से उक्त रिपोर्ट के संदर्भ में क्या कुछ प्रतिक्रिया दी जाती है। वहीं, दावा किया जा रहा है कि इन तीन दिनों के सर्वे के उपरांत कई ऐसे साक्ष्य सामने आए हैं, जो वहां मंदिर होने के दावे करते हैं। लेकिन इन दावों में कितनी सच्चाई यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा। वहीं, सर्वे के  तीसरे और अंतिम दिन मस्जिद में स्थित वजूखाने से शिवलिंग प्राप्त होने का दावा हिंदू पक्ष की ओर से किया जा रहा है। लेकिन मुस्लिम पक्ष की तरफ से इन दावों को सिरे से खारिज करते हुए कहा जा रहा है कि वहां शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है। बहरहाल, अब वहां शिवलिंग या फव्वारा है? इस पर अंतिम फैसला कोर्ट ही करेगी। लेकिन आइए रिपोर्ट में आगे हम आपको बताते हैं कि जब उक्त स्थल से शिवलिंग प्राप्त हुआ तो लोगों के रिएक्शन कैसे रहे थे। आइए, हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

फाइल फोटो

इस संदर्भ में सोहनलाल आर्या ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा कि वैसे तो हमने सर्वे के दूसरे दिन ही वजूखाने से पानी हटाने के लिए कहा था, लेकिन मुस्लिम पक्षों ने विरोध किया, मगर सर्वे के तीसरे यानी की अंतिम दिन वजूखाने के पानी को हटाने की बात कही गई, तो किसी ने भी विरोध नहीं किया। हालांकि, वजूखाने में भारी मात्रा में पानी होने की वजह मछलियां पनप चुकी थी। जिसे देखते हुए हमें खास एहतियात बरतने के निर्देश दिए गए थे। इसके बाद जब वजूखाने के पानी को हटाया गया तो वहां शिवलिंग प्राप्त हई। जिसके बाद सब खुशी से झूम उठे। सोहनलाल आर्या ने आगे कहा कि एक फीट खुदाई की गई, तो शिवलिंग उभरकर सामने आ गया है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष ने हमारे दावे को झूठा साबित करने के लिए शिवलिंग को फव्वारा बताकर उसे चालू करने के लिए कहा। लेकिन जब वह फव्वार है ही नहीं तो उसे चालू कैसे करते। उन्होंने कहा कि अभी वहां  से शिललिंग प्राप्त हआ है। लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि नीचे मां पार्वती की आध्या है। लेकिन आगे चलकर हम इस संदर्भ में जांच की मांग करेंगे। सोहनलाल ने कहा कि आगे मस्जिद में शिवलिंग मिलने के बाद वादी और प्रतिवादी दोनों ही लोग खुशी से झूम उठे। अभी मैं उनके नाम को इजहार नहीं करूंगा। आगे जांच संपन्न होने के बाद आपको बताऊंगा कि आखिर कौन थे वो लोग जो मस्जिद में शिवलिंग मिलने के उपरांत खुशी से झूम उठे थे। चलिए, अब आप इतना सब कुछ जान ही चुके हैं, तो आगे यह भी जान लीजिए कि आखिर यह सोहनलाल हैं कौन?

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कौन हैं सोहनलाल आर्या

तो आपको बताते चलें कि सोहनलाल वह शख्स हैं, जिन्होंने पहली बार ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे कराने की कोशिश की थी। इसके लिए बकायदा साल 1996 में एक टीम का गठन किया गया था। जिसका वे हिस्सा थे। लेकिन लोगों के कथित विरोध के परिणामस्वरूप सर्वे नहीं हो पाया था। जिसके बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 500 लोगों ने उन्हें घेर लिया था और उनके सर्वे में बाधा उत्पन्न करने की कोशिश की थी। बता दें कि सोहनलाल पांच महिलाओं द्वारा दाखिल की याचिकाकर्ताओं में से एक के पति और टीम के सदस्य हैं। फिलहाल यह पूरा माजरा कोर्ट में विचाराधीन है।अब ऐसी स्थिति में यह पूरा माजरा आगे चलकर क्या कुछ रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। लेकिन मस्जिद में शिवलिंग मिलने के उपरांत पूरी काशी में सुरक्षा- व्यवस्था दुरूस्त कर दी गई है।

शिवलिंग की फोटो आई सामने

चप्पे चप्पे पर पुलिसकर्मियों की तैनाती बढ़ा दी गई है। उधर, इस पूरे मसले को लेकर जमकर राजनीति भी देखने को मिल रही है। इस मसले को लेकर सियासी गलियारों में दो तरह के गुटों का उदय हो चुका है। एक ऐसा गुट जो वहां मंदिर होने की पैरवी कर रहा है, तो एक ऐसा गुट, जो कि वहां मस्जिद होने की वकालत कर रहा है। लेकिन उपरोक्त मसले पर अब अगर किसी की भी अहम भूमिका निभाने की अहम जिम्मेदारी बनती है, तो वो है कोर्ट। ऐसे में आगे चलकर यह पूरा मसला क्या कुछ रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। तब तक के लिए आप देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम