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Alok Tripathi: कौन हैं आलोक त्रिपाठी?, जिनके कांधों पर है ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की जिम्मेदारी

Alok Tripathi: आलोक जब चौथी कक्षा में थे, तभी से ही ऑर्कोयोलॉजिस्ट बनने का शौक था। आलोक बताते हैं कि उन्हें शुरू से ही समुद्र में छुपे चीजों के बारे में जानने का शौक रहा है। आर्कोयोलॉजिस्ट अन्वेषण विज्ञान पर निर्भर रहा है।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे जारी है। आज सर्वे का तीसरा दिन है। दावा है कि सर्वे के दौरान कई ऐसे साक्ष्य प्राप्त हुए हैं, जिससे इस बात की पुष्टि होती है कि इतिहास में वहां मंदिर था। दरअसल, हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद की जगह वहां मंदिर हुआ करता था, जिसे मुगल शासक ओरंगजेब ने ध्वस्त कर मस्जिद का निर्माण करवाया था, लेकिन मुस्लिम पक्ष हिंदू पक्ष की इन दलीलों को खारिज कर लगातार प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला देकर कह रहा है कि अब किसी भी धार्मिक स्थल से छेड़छाड़ करना ठीक नहीं है।

बता दें कि प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट में प्रावधान है कि 1947 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ ना की जाए। लेकिन, ज्ञानवापी प्रकरण में अधिवक्ताओं का कहना है कि अगर सर्वे के दौरान वहां मंदिर होने के सबूत प्राप्त हुए, तो प्लेसस ऑफ वर्शिप एक्ट निरर्थक साबित हो जाएगा। हालांकि, सर्वे जारी है। अब सर्वे संपन्न होने के बाद क्या कुछ निकलकर सामने आता है। यह भविष्य के गर्भ में निहित है, लेकिन इस रिपोर्ट में हम आपको आलोक त्रिपाठी के बारे में बताएंगे, जिनके कांधे पर सर्वे की जिम्मेदारी है। आइए, जानते हैं कौन हैं आलोक त्रिपाठी?

gayanvapi

दरअसल, डॉ आलोक त्रिपाठी भारतीय पुरातत्व विभाग के महानिदेशक के पद पर पदस्थ हैं। इनके नेतृत्व में ज्ञानवापी का सर्वे जारी है। बता दें कि उन्होंने अंडरवाटर आर्कियोलॉजिकल विंग के उत्खनन और सर्वेक्षण में विशेषज्ञता हासिल की है। आलोक त्रिपाठी असम यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्हें तीन साल के लिए पुरातत्व विभाग के महानिदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है। उन्हें प्राचीन गुफाओं में पाए जाने वाले अवशेषों के बारे में विस्तृत जानकारी है, जिसकी सराहना देश विदेश में होती है। वे इतिहास के जाने माने प्रोफेसर के रूप में जाने जाते हैं। अपने बारे में बताते हुए आलोक त्रिपाठी कहते हैं कि उन्हें बचपन से ही ऑर्कोयोलॉजिस्ट बनने का शौक था, जिसे अब वो अपनी प्रतिभा के दम पर अपना पेशा बना चुके हैं।

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उन्हें बचपन से ही पुरानी चीजों के बारे में जानने का शौक रहा है, जो कि अब उन्हें इस पेशे में खींच लाया है। आलोक जब चौथी कक्षा में थे, तभी से ही उन्हें ऑर्कोयोलॉजिस्ट बनने का शौक था। आलोक बताते हैं कि उन्हें शुरू से ही समुद्र में छुपे चीजों के बारे में जानने का शौक रहा है। आर्कोयोलॉजिस्ट अन्वेषण विज्ञान पर निर्भर रहा है। वो पूर्व में भी कई सर्वे कर चुके हैं। ध्यान दें कि किसी ऐतिहासिक स्थल के सर्वे की अहम भूमिका का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि बीते दिनों राम मंदिर का फैसला भी सर्वे के आधार पर ही दिया गया था, जिसे मानने के लिए हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्ष बाध्य थे। हालांकि, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थीं, लेकिन बाद में इन सभी याचिकाओं को सिरे से खारिज कर दिया गया था।