नई दिल्ली। योगी सरकार प्रदेश के विकास के लिए नई रणनीति पर काम कर रही है। देश में चीन के खिलाफ बने माहौल को यूपी में निवेश की बढ़ोतरी के अवसर के तौर पर पेश किया जाएगा। चीन से भारत समेत दुनिया की तमाम ताकते नाराज हैं। ऐसे में चीन से जापान को होने वाले कारोबार में भी खासी कमी आने की संभावना है। योगी सरकार चीन और जापान के बीच कारोबार में आने वाली कमी का रुख यूपी की ओर मोड़ना चाहती है।
आंकड़े गवाह हैं कि चीन हर साल जापान को 173 अरब डॉलर का निर्यात करता है। जबकि भारत जापान को सालाना करीब 4.8 अरब डॉलर का निर्यात करता है। यदि चीन से जापान को होने वाले निर्यात का 10 फीसदी हिस्सा भी बाधित होता है, तो इसका मतलब है कि भारत के पास 17.3 अरब डॉलर निर्यात बढ़ाने का अवसर है।
सरकार की इस पहल के पीछे पूरी रिसर्च और बैकग्राउंड वर्क है। जापान की आधे दर्जन से ज्यादा कंपनियों ने उत्तर प्रदेश में निवेश करने में रुचि दिखाई है। इन कंपनियों ने जो निवेश प्रस्ताव रखे हैं, उनमें अत्याधुनिक तकनीक वाली 5 फिश हैचरी का विकास, सिंचाई के लिए 100 मेगावाट के सौर पार्क और एग्री प्रोसेसिंग पार्क की स्थापना भी शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार कोरोनावायरस महामारी के बाद चीन से बाहर निकलने की कोशिश कर रही कंपनियों को राज्य में आकर्षित कर रही है। विभिन्न देशों के निवेशकों से बात की जा रही है।