नई दिल्ली। कम से कम 69 प्रतिशत माता-पिता का मानना है कि जब वे अपने स्मार्टफोन में डूबे रहते हैं तो वे अपने बच्चों, परिवेश पर ध्यान नहीं देते हैं और 74 प्रतिशत मानते हैं कि जब उनके बच्चे उनसे कुछ पूछते हैं तो वे चिढ़ जाते हैं। मंगलवार को एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) के सहयोग से स्मार्टफोन ब्रांड वीवो द्वारा ‘स्मार्टफोन और मानव संबंध’ नामक एक नई रिपोर्ट यूजर्स पर स्मार्टफोन के प्रभाव और उनके संबंधों पर इसके प्रभाव को दर्शाती है। वीवो इंडिया के ब्रांड स्ट्रैटेजी के डीजीएम योगेंद्र श्रीरामुला ने आईएएनएस से कहा, “किसी भी व्यवहार परिवर्तन में सबसे कठिन चीज जो हमें चाहिए, वह है पहला कदम उठाना।”
श्रीरामुला ने कहा, “इस सर्वेक्षण और बाकी अभियान के माध्यम से यहां हमारा काम अवचेतन मन से उस ज्ञान को चेतन मन में लाना है।” रिपोर्ट में रेखांकित किया गया है कि स्मार्टफोन पर बिताया जाने वाला औसत दैनिक समय कोविड के बाद के युग में खतरनाक स्तर पर बना हुआ है, क्योंकि पूर्व-कोविड अवधि से स्मार्टफोन पर बिताए गए समय में 32 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
दिलचस्प बात यह है कि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि बच्चों और परिवार के साथ बिताया जाने वाला समय सामान्य रूप से बढ़ गया है, लेकिन बिताए गए समय की गुणवत्ता बिगड़ गई है। कम से कम 80 प्रतिशत स्मार्टफोन उपयोगकर्ता अपने फोन पर तब भी होते हैं, जब वे अपने बच्चों के साथ समय बिता रहे होते हैं और 75 प्रतिशत अपने स्मार्टफोन से विचलित होने और बच्चों के साथ रहते हुए भी ध्यान नहीं देने की बात स्वीकार करते हैं।
जहां 85 प्रतिशत माता-पिता महसूस करते हैं कि उनके बच्चों को सामाजिक परिवेश में अन्य बच्चों के साथ घुलना-मिलना मुश्किल है और कुल मिलाकर बाहरी अनुभव कठिन है। फोन पर कुल निर्भरता बढ़ गई है। लोग अपने फोन का इस्तेमाल खाना खाते समय (70 फीसदी), लिविंग रूम में (72 फीसदी) और यहां तक कि परिवार के साथ बैठकर (75 फीसदी) करते हैं। शीर्ष 8 भारतीय शहर, जिनमें नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता शामिल है