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उल्टा चोर कोतवाल को डांटे! अब चीन चिल्लाया ऑस्ट्रेलिया ने डाटा चोरी कर लिया

ऑस्ट्रेलिया में कुछ राजनेता चीन का विरोध करने में मुखर हो गये हैं। रिपोर्ट है कि सन 1990 के दशक में निर्मित चीनी दूतावास के भवन में बड़ी मात्रा में श्रवण-यंत्र रखे हुए हैं। अब यह स्पष्ट है कि ऑस्ट्रेलिया एक तरफ चीन को चेतावनी देकर सनसनी फैला रहा है, दूसरी तरफ चीन की जानकारी और डेटा चोरी कर रहा है।

बीजिंग। ऑस्ट्रेलिया में कुछ राजनेता चीन का विरोध करने में मुखर हो गये हैं। रिपोर्ट है कि सन 1990 के दशक में निर्मित चीनी दूतावास के भवन में बड़ी मात्रा में श्रवण-यंत्र रखे हुए हैं। अब यह स्पष्ट है कि ऑस्ट्रेलिया एक तरफ चीन को चेतावनी देकर सनसनी फैला रहा है, दूसरी तरफ चीन की जानकारी और डेटा चोरी कर रहा है।

रिपोर्ट है कि हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के खुफिया विभाग ने सांसद शौकेत मोसेलमेन के घर घुसकर जांच-पड़ताल की। कारण सिर्फ यही है कि मोसेलमेन ने चीन की कई बार यात्रा की और उनका चीन के प्रति रवैया मैत्रीपूर्ण है। उन्होंने मार्च में चीन द्वारा न्यू कोरोना वायरस महामारी के लिए प्राप्त प्रगतियों की प्रशंसा भी की। इसी वजह से उन पर राजनीतिक दबाव बनाया गया है।

चीन के खिलाफ कुछ राजनेताओं के कृत्यों से ऑस्ट्रेलिया के समाज में कृत्रिम भूकंप आया है। उधर, ऑस्ट्रेलिया द्वारा चीन के विरूद्ध की गयी जासूसी कार्यवाहियों का खुलासा भी किया गया है। विश्लेषकों का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया हमेशा अमेरिका की चीन विरोधी कार्यवाहियों का पंजा बनता रहा है। ऑस्ट्रेलियाई राजनेताओं के पीछे अमेरिका की छवि ही है। ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच संयुक्त सुरक्षा संधि मौजूद है। ऑस्ट्रेलिया की सभी सरकारों ने अमेरिका के साथ गठबंधन संबंधों से अपनी रक्षा नीतियों की नींव के रूप में निपटा है। जैसे ही वाशिंगटन का बैटन चलता है, तब कैनबरा नृत्य करने लगती है। यही इन दोनों देशों के बीच संबंध ही है।

इधर के वर्षों में चीन की शक्तियां बढ़ने के चलते ऑस्ट्रेलिया के कुछ राजनेताओं ने स्वेच्छा से अमेरिका की चीन-विरोधी योजना में पात्र बनना शुरू किया है। नये कोरोना वायरस महामारी के फैलाव से ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने वायरस के चीन के वुहान में निकलने का झूठ फैलाया। लेकिन इस निराधार रिपोर्ट का स्रोत अमेरिका के ऑस्ट्रेलिया स्थित दूतावास ही है। ऑस्ट्रेलियाई नेटिजनों ने इस बात पर अपने देश की सरकार की आलोचना की है कि उसने अमेरिका को खुश करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के हितों का बलिदान किया है। सिडनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ब्रेंडन थोमस-नूने ने अपने एक लेख में कहा कि ऑस्ट्रेलिया को चीन की रोकथाम नहीं, बल्कि चीन के साथ अधिक सहयोग करना चाहिये।

बीते कई दशकों में चीनी बाजार ने ऑस्ट्रेलिया के खनिज, ऊर्जा और कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ा दिया है। वर्ष 2019 में ऑस्ट्रेलिया की चीन को निर्यात रकम 1 खरब 3.9 अरब अमेरिकी डॉलर रही जो इस देश के तमाम निर्यात में 38.2 प्रतिशत रहा। ऑस्ट्रेलिया को चीन के साथ व्यापार में भारी लाभ मिला है। चीन के साथ संबंधों को नष्ट करने से ऑस्ट्रेलिया को नुकसान पहुंचेगा।