नई दिल्ली। इस वर्ष पितृ पक्ष (Pitru Paksha) 01 सितंबर 2020, मंगलवार से प्रारंभ हुए। यह समय पित्तरों (Pitra) को प्रसन्न करने और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उत्तम माना जाता है। अश्विनी मास की अमावस्या को सर्व पितृ अमावस्या (Sarv Pitru Amavasya 2020) के नाम से भी जाना जाता है।
इस साल सर्व पितृ अमावस्या 17 सितंबर को पड़ रही हैं। इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या तिथि श्राद्ध परिवार के उन मृतक सदस्यों के लिये किया जाता है, जिनकी मृत्यु अमावस्या तिथि, पूर्णिमा तिथि तथा चतुर्दशी तिथि को हुई हो।
अगर कोई संपूर्ण तिथियों पर श्राद्ध करने में सक्षम न हो, तो वो मात्र अमावस्या तिथि पर श्राद्ध (सभी के लिये) कर सकता है। अमावस्या तिथि पर किया गया श्राद्ध, परिवार के सभी पूर्वजों की आत्माओं को प्रसन्न करने के लिये पर्याप्त है। जिन पूर्वजों की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं है, उनका श्राद्ध भी अमावस्या तिथि पर किया जा सकता है। इसीलिए अमावस्या श्राद्ध को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है।
श्राद्ध विधि
पितृ अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर साफ-सुथरे कपड़े पहनें। पितरों के तर्पण के लिए सात्विक पकवान बनाएं और उनका श्राद्ध करें। शाम के समय सरसों के तेल के चार दीपक जलाएं। इन्हें घर की चौखट पर रख दें। एक दीपक लें। एक लोटे में जल लें। अब अपने पितरों को याद करें और उनसे यह प्रार्थना करें कि पितृपक्ष समाप्त हो गया है इसलिए वह परिवार के सभी सदस्यों को आशीर्वाद देकर अपने लोक में वापस चले जाएं। यह करने के पश्चात जल से भरा लोटा और दीपक को लेकर पीपल की पूजा करने जाएं। वहां भगवान विष्णु जी का स्मरण कर पेड़ के नीचे दीपक रखें जल चढ़ाते हुए पितरों के आशीर्वाद की कामना करें। पितृ विसर्जन विधि के दौरान किसी से भी बात ना करें।
सर्व पितृ अमावस्या 2020 का समय
अमावस्या श्राद्ध बृहस्पतिवार, सितम्बर 17, 2020 को
अमावस्या तिथि शुरू: 19:58:17 बजे से (सितंबर 16, 2020)
अमावस्या तिथि समाप्त: 16:31:32 बजे (सितंबर 17, 2020)