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Amit Shah Interview: ‘विपक्ष झूठ की सियासत कर रहा, पीएम मोदी जो कहते हैं वो पत्थर की लकीर’, अमित शाह बोले- नहीं वापस होगा सीएए

Amit Shah Interview: अमित शाह ने निशाना साधा और पलटवार किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास कोई काम नहीं है। विपक्ष ने ये भी कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइख और एयर स्ट्राइक करने से बीजेपी को राजनीतिक फायदा है। अमित शाह ने पलटकर पूछा कि क्या हमें आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए?

नई दिल्ली। गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तगड़ा हमला बोला है। अमित शाह ने एएनआई की संपादक स्मिता प्रकाश को दिए खास इंटरव्यू में कहा कि विपक्ष के पास कोई काम नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी की कही हर बात पत्थर की लकीर है। अमित शाह ने ये भी साफ कर दिया कि सीएए भारत की संप्रभुता के तहत लाया गया है और ये अब कभी भी वापस नहीं होगा।

विपक्ष के इस आरोप पर कि सीएए के जरिए बीजेपी नया वोट बैंक तैयार कर रही है, अमित शाह ने निशाना साधा और पलटवार किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष के पास कोई काम नहीं है। विपक्ष ने ये भी कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइख और एयर स्ट्राइक करने से बीजेपी को राजनीतिक फायदा है। अमित शाह ने पलटकर पूछा कि क्या हमें आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए? उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने तो ये भी कहा था कि अनुच्छेद 370  को हटाना भी राजनीतिक फायदे के लिए था। अमित शाह ने कहा कि हम 1950 से कहते आ रहे थे कि 370 को हटाएंगे। विपक्ष का इतिहास है कि जो बोलते हैं, वो करते नहीं हैं। वहीं मोदी जी का इतिहास है कि जो कहा वो पत्थर की लकीर है। मोदी जी की हर गारंटी पूरी होती है।

अमित शाह ने कहा कि सीएए को लेकर विपक्ष राजनीति कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2019 से ही कह रहा हूं कि सीएए लागू होगा। गृहमंत्री अमित शाह ने एक बार फिर अल्पसंख्यक समुदाय को आश्वासन दिया कि सीएए से किसी की नागरिकता नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि जितने भी लोग अखंड भारत का हिस्सा थे, उनको नागरिकता दी जाएगी। अमित शाह ने विपक्ष पर वोट बैंक को साधने के लिए बयानबाजी करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल सीएए के मसले पर झूठ की सियासत कर रहे हैं। शाह ने कहा कि विपक्ष बेनकाब हो चुका है और देश की जनता जानती है कि सीएए इस देश का कानून है। अमित शाह ने कहा कि जब बंटवारा हुआ, तो पाकिस्तान में 23 फीसदी हिंदू और सिख थे और अब 3.7 फीसदी बचे हैं। बांग्लादेश में 1951 में हिंदू की आबादी 22 फीसदी थी, लेकिन अब 10 फीसदी है। वे लोग कहां गए?