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Politics: सोनिया और लालू के बीच तनाव ने बिहार में कांग्रेस को कहीं का नहीं छोड़ा, अब है ये हालत

किसी जमाने में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल RJD की खूब छनती थी। कांग्रेस की केंद्र सरकार में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को बड़े मंत्रालय सौंपे जाते थे, लेकिन पिछले कुछ साल में कांग्रेस और लालू के रिश्ते खटास भरे हो गए। ये रिश्ते अब भी खराब हैं।

पटना। किसी जमाने में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल RJD की खूब छनती थी। कांग्रेस की केंद्र सरकार में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव को बड़े मंत्रालय सौंपे जाते थे, लेकिन पिछले कुछ साल में कांग्रेस और लालू के रिश्ते खटास भरे हो गए। ये रिश्ते अब भी खराब हैं और इसका खामियाजा बिहार में कांग्रेस को आने वाले वक्त में भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, इस साल बिहार से राज्यसभा के 5 सांसद चुने जाने हैं। जून में विधान परिषद के 7 सदस्य रिटायर होंगे। ऐसे में लालू की मदद के बगैर कांग्रेस को दोनों चुनावों में एक भी सीट नहीं मिलने वाली है।

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साल 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और आरजेडी के बीच गठबंधन हुआ था। तब आरजेडी के 80 और कांग्रेस के 29 विधायक चुने गए थे। 2016 में कांग्रेस का एक सदस्य विधान परिषद भी गया। 2018 में उसके दो मेंबर विधान परिषद गए थे। 2020 में एक और कांग्रेस सदस्य विधान परिषद गया था। अब आरजेडी से तल्खी की वजह से कांग्रेस दिक्कत में है। बिहार विधानसभा में कांग्रेस के सदस्य कुल 19 हैं। इतनी संख्या से खुद का राज्यसभा या विधान परिषद मेंबर जिताना मुश्किल है। राज्यसभा की एक सीट के लिए कम से कम 40 विधायकों की जरूरत है। ऐसे में बिहार से कांग्रेस के किसी को राज्यसभा भेजना आसान नहीं है।

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बात करें विधान परिषद की, तो कांग्रेस को अपना एक मेंबर चुनने के लिए दूसरे दलों की मदद की जरूरत होगी। विधान परिषद में साल 2024 में 11 मेंबर कम होंगे। ऐसे में 20-21 विधायकों के वोट से कांग्रेस का एक सदस्य चुना जा सकता है, लेकिन अगर कांग्रेस में ही दूसरे दलों ने सेंधमारी कर दी, तो एक सदस्य भी नहीं चुना जाएगा। ऐसे में कांग्रेस के लिए बिहार में बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा हो गया है।