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खुशखबरीः अब सौ रुपए के खर्च और 5 मिनट के समय में हो जाएगी कोरोना की जांच

लॉक डाउन के बीच किसी भी तरह समस्या देश में पैदा ना हो, इस वक्त सिर्फ सभी डॉक्टर, नर्स पैरामेडिकल स्टाफ मरीजों की उपचार में लगे हैं, वहीं देश का शीर्ष शोध संस्थान वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) इसकी किफायती जांच किट और उपचार तलाश रहा है।

नई दिल्ली। भारत सरकार ने अपने नागरिकों को कोरोना से बचाने की जंग छेड़ दी है। पूरे देश में लगे लॉक डाउन के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश का मनोबल बढाने के साथ साथ देशहित में लगातार योजनाओं को भी ला रहे हैं। जिससे इस लॉक डाउन के बीच किसी भी तरह समस्या देश में पैदा ना हो। इस वक्त सिर्फ सभी डॉक्टर, नर्स पैरामेडिकल स्टाफ मरीजों की उपचार में लगे हैं। वहीं देश का शीर्ष शोध संस्थान वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) इसकी किफायती जांच किट और उपचार तलाश रहा है।

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इस मुद्दे पर सीएसआईआर के महानिदेशक शेखर सी. मांडे ने बताया ‘’हम इस वक्त इससे निपटने के लिए पांच उपायों पर काम कर रहे हैं। एक जहां-जहां बीमारी फैली हुई है, उस क्षेत्र में स्थित हमारी प्रयोगशलाएं इसका लगातार मॉलीक्यूलर सर्विलांस कर रही हैं ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि हम इसके खतरे, प्रभाव और प्रकृति को बेहतर ढंग से समझ सकें। दूसरे, हम किफायती जांच किट बनाने की दिशा में दिन रात लगातार काम करने में जुटे हुए हैं। तीसरे, दवा बना रहे हैं। चौथे, अस्पताल व पर्सनल प्रोटेक्शन उपकरण बना रहे हैं तथा पांचवें देश के हर हिस्से में चिकित्सकीय उपकरणों की आपूर्ति हो ये भी सुनिश्चित करने का लगातार हमारे द्वारा काम किया जा रहा है।‘’

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इसके साथ ही उन्होंने बताया कि ‘’हम ऐसी पेपर जांच किट विकसित करने पर काम कर रहे हैं जिसमें महज पांच-दस मिनट के अंदर ही जांच हो सकेगी। कमाल की बात ये होगी कि इसकी लागत भी सौ रुपये के करीब होगी। हमारी दिल्ली स्थित प्रयोगशाला इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के वैज्ञानिक जल्द किट तैयार कर लेंगे। किट से कहीं भी जांच की जा सकेगी।

वहीं इस वायरस कि दवा खोजने के सवाल पर उन्होंने कहा ‘’सीएसआईआर की तीन प्रयोगशालाएं नेशनल केमिकल लेब्रोटरी पुणे, सेंट्रल ड्रग रिसर्च लेब्रोटरी लखनऊ तथा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी हैदराबाद इस पर काम कर रहे हैं। हमने निजी क्षेत्र की कंपनी सिप्ला और कैडिला जायडस से भी एमओयू किए हैं। शोध शुरू कर दिए हैं। हमे इस बात की पूरी उम्मीद है कि हम इस बीमारी की प्रभावी दवा तलाश जल्द ही तलाश लेंगे।

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वहीं देश के अंदर वेंटिलेटर की कमी पर भी उन्होंने जवाब दिया वो बोले ‘’जैसा कि मैंने बताया कि अस्पताल और पर्सनल प्रोटेक्शन उपकरण बनाने के लिए भी हम बीएचईएल आदि के साथ कार्य कर रहे हैं। बीएचईएल के साथ हम दस हजार रुपये की लागत का वेंटिलेटर विकसित कर रहे हैं। इस प्रकार के हमारे द्वारा तीन मॉडल तैयार किए गए हैं। इसके एक उच्च मॉडल की कीमत एक लाख के करीब रहेगी। इन किफायती वेंटिलेटर को देश के हर अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंचाना आसान होगा। इसलिए हम जल्द ही इस दिशा में भी प्रभावी कदम उठा रहे हैं

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इसके साथ ही कोरोनावायरस के खुद ही कमजोर पड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा ‘’ऐसी संभावना है। क्योंकि कई देशों में यह देखा गया है कि कुछ समय के बाद लोगों में वायरस के खिलाफ ‘हर्ड इम्यूनिटी’ स्वयं पैदा हो जाती है लेकिन जब तक यह आएगी तब तक यह काफी लोगों को संक्रमित कर सकता है। 50-60 फीसदी आबादी जब वायरस के संक्रमण का सामना कर चुकी होती है तब इम्युनिटी आती है। इसके लिए हमें एक लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है।