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Deepotsav 2022: बेहद प्रगाढ़ हैं राम,अयोध्या एवं गोरक्षपीठ का रिश्ता, 2017 में जले थे 1.71 लाख दीपक, 2022 में 17 लाख का लक्ष्य

Deepotsav 2022: अयोध्या में सरयू के दाहिने ओर राम की पैड़ी पर लाखों दीपकों का एक साथ जलते देखना तो खुद में अभूतपूर्व एवं अकल्पनीय होता है। सरयू के जल में पड़ता इनका प्रतिबिंब देख यही लगता है मानों आसमान के सभी चांद-सितारे भी अपने राम के वनवास से आने की खुशी में अयोध्या ही आ गए हों। प्रयास यह रहता है कि पूरा परिदृश्य बहुत हद तक वैसा ही हो जब भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और अन्य साथियों के साथ पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे थे।

लखनऊ। गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ का अयोध्या से पुराना और बेहद प्रगाढ रिश्ता रहा है। हाल के 100 वर्षों के दौरान राम मंदिर को लेकर जो भी आंदोलन हुआ उसमें प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ से लेकर उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ केंद्रीय भूमिका में रहे। ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ तो राम मंदिर आंदोलन के लिए गठित दो शीर्ष समितियों के पदाधिकारी भी थे। वह श्रीराम जन्मभूमि यज्ञ समिति के आजीवन अध्यक्ष और श्री राम जन्मभूमि न्याय के शीर्ष पदाधिकारी रहे।

पीठ के पीठाधीश्वर योगी अयोध्या को अपना मानते हैं और अयोध्यावासी उनको अपना

इस परिवेश की वजह से बतौर गोरखपुर के सांसद, पीठ के उत्तराधिकारी एवं पीठाधीश्वर होने के नाते योगी आदित्यनाथ का भी अयोध्या से खासा लगाव रहा। वह अयोध्या को अपना मानते रहे और अयोध्यावासी उनको अपना।

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यही वजह है कि योगी के सीएम बनने के बाद साल दर साल और खास होती गयी अयोध्या

मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ ने अयोध्या से पीठ एवं अपने इस लगाव को बनाये रखा।
यही वजह है कि योगी के सीएम बनने के बाद साल दर साल और खास होती गयी अयोध्या। इसी क्रम में उनकी पहल से दीपावली से एक दिन पहले अयोध्या में दीपोत्सव की शुरुआत की गई। माना जाता है कि राम के वनवास से अयोध्या वापस आने पर वहां के लोगों ने खुशी में अपने घरों एवं चौबारों में दीपक जलाए। त्रेतायुग की उसी याद को ताजा करने के लिए दीपोत्सव की शुरुआत की गई। इस अवसर पर सरयू की भव्य आरती के अलावा पूरे अयोध्या, मंदिरों, मठों, घाटों, सड़कों, चौराहों, सार्वजनिक स्थानों की साज-सज्जा के साथ,लाइटिंग,म्यूजिकल लेजर शो, म्यूजिकल ग्रीन फायर क्रैकर शो, एवं दीपकों से जगमग हो उठती है।

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अयोध्या में सरयू के दाहिने ओर राम की पैड़ी पर लाखों दीपकों का एक साथ जलते देखना तो खुद में अभूतपूर्व एवं अकल्पनीय होता है। सरयू के जल में पड़ता इनका प्रतिबिंब देख यही लगता है मानों आसमान के सभी चांद-सितारे भी अपने राम के वनवास से आने की खुशी में अयोध्या ही आ गए हों। प्रयास यह रहता है कि पूरा परिदृश्य बहुत हद तक वैसा ही हो जब भगवान श्रीराम, सीता, लक्ष्मण और अन्य साथियों के साथ पुष्पक विमान से अयोध्या लौटे थे। दीपोत्सव के दिन भी दोपहर बाद राम, लक्ष्मण एवं सीता का स्वरूप बने मंचीय कलाकार हेलीकॉप्टर से लैंड करते हैं। मुख्यमंत्री समेत पूरी सरकार उनके स्वागत के लिए वहां मौजूद रहती है। इस बार तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भी आना प्रस्तावित है।

2017 से अब तक हर साल बना दीप प्रज्वलन का रिकॉर्ड

2017 से शुरू दीपोत्सव हर साल और खास होता गया। अगर अबकी यहां प्रधानमंत्री का आना हुआ तो यह दीपोत्सव बेहद खास हो जाएगा। दीपोत्सव के बाद राम का राजतिलक होता है। रामलीलाओं का मंचन तो पूरी रात चलता है।

दीपोत्सव की वजह से अयोध्या के प्रति बढ़ा पर्यटकों का क्रेज

दीपोत्सव के नाते अयोध्या की देश-दुनियां में जबर्दस्त ब्रांडिंग हुई। हर साल दीप प्रज्वलन का गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। वैश्विक महामारी कोरोना को अपवाद मान लें तो अयोध्या आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों/श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ी। मसलन 2017 के पहले दीपोत्सव के दौरान वहां सरयू के घाटों पर जलने वाले दीपकों की संख्या 1.71 लाख थी। तो 2018, 2019, 2021 एवं 2022 में यह बढ़कर क्रमशः 3.01, 4.04 , 6.06 व 9.41 लाख रही। दीपों की संख्या के लिहाज से हर साल गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बना। इस साल 15 लाख दीप जलाने का लक्ष्य है। तैयारी 17 लाख दीपकों की की गई हैं। मसलन लगातार छठें साल भी अयोध्या के दीपोत्सव के नाम एक और गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड जुड़ जाएगा।
दीपोत्सव की वजह से हुई ब्रांडिंग की वजह से यहां आने वाले पर्यटकों/श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ी है। मसलन 2017 में यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या 17857858 थी। 2018 में यह बढ़कर 19563159 हो गई। 2019 में यह संख्या 20491724 रही। 2020-2021 वैश्विक महामारी कोरोना का कालखण्ड था। लिहाजा इन वर्षों में क्रमशः 6196148 और 15743790 पर्यटक ही आये। 2022 में अगस्त तक अयोध्या आने वाले पर्यटकों की संख्या 22138805 रही। यह खुद में एक रिकॉर्ड है।

अलग देशों की रामलीलाएं बनतीं हैं राम की स्वीकार्यता का प्रमाण

दीपोत्सव के अवसर पर भगवान राम की स्वीकार्यता अलग-अलग देशों के रामलीला का मंचन करने वाले कलाकारों के जरिए दिखती है। स्थानीय कलाकारों को भी अपना फन दिखाने का मौका मिलता है। अब तक के पांच दीपोत्सव के दौरान इंडोनेशिया, श्रीलंका, त्रिनिदाद, रूस, लाओस, कम्बोडिया, नेपाल, फिलीपींस, फिजी,जम्मू कश्मीर, असम, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिमी बंगाल के रामलीला दल अयोध्या में अपनी परंपरा के अनुसार रामलीलाओं का मंचन कर चुके हैं।

भव्यतम दीपोत्सव के आयोजन की तैयारियां जारी

दीपोत्सव का यह आयोजन भव्यतम हो, इसके लिए पिछले कई महीनों से स्थानीय प्रशासन तैयारियों में युद्ध स्तर पर जुटा है। शासन स्तर से भी इसकी लगातार समीक्षा की जा रही है। समय-समय पर शासन के शीर्ष अधिकारी मौके पर जाकर तैयारियों की जमीनी हकीकत को परख रहे हैं। 19 अक्टूबर को इसी मकसद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद अयोध्या गये थे। इस दौरान उन्होंने श्रीरामजन्मभूमि के दर्शन पूजन एवं मंदिर निर्माण के प्रगति का निरीक्षण किया। साथ ही दीपोत्सव कार्यक्रम के स्थलों पर हो रही तैयारियों का निरीक्षण किया और इसी बाबत समीक्षा बैठक भी की।