मेरठ। नए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) CAA के बनने के बाद हुए दंगों और हिंसा के मामले में यूपी में पहला फैसला आ गया है। 20 और 21 दिसंबर 2019 को हुई हिंसा में न्यायाधिकरण ने 86 उपद्रवियों को दोषी करार दिया है। अब प्रशासन इन सभी से संपत्ति को हुए नुकसान के एवज में 427439 रुपए की वसूली करेगा। यूपी सरकार ने दंगों में संपत्ति के नुकसान की भरपाई के लिए यूपी लोक व निजी संपत्ति क्षति वसूली दावा न्यायाधिकरण बनाया था। इसके फैसले के खिलाफ किसी भी कोर्ट में अपील नहीं हो सकती। 12 दिसंबर 2019 को सीएए बिल संसद से पास हुआ था। जिसके बाद यूपी में कई जगह दंगे हुए थे। लखनऊ, मेरठ और प्रयागराज में न्यायाधिकरण गठित कर केस चलाया गया। तीनों जगह 105 मुकदमों की सुनवाई जारी है। मेरठ मंडल में ही 20 केस में 277 आरोपी हैं।
मेरठ में न्यायाधिकरण के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार सिंह और प्रवीणा अग्रवाल ने अमरोहा में हुई हिंसा के दोषियों के लिए दंड का गुरुवार को एलान किया। यहां पुलिसकर्मियों से उपद्रवियों की झड़प हुई थी। जिसमें संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। पुलिस ने 86 लोगों पर केस दर्ज किया था। अब हर एक दोषी को 4971 रुपए भरने होंगे। इस रकम की वसूली मेरठ का जिला प्रशासन भू-राजस्व की तरह कर सकेगा। यानी दंड न भरा गया, तो जमीन-जायदाद की कुर्की कर उसे नीलाम किया जा सकेगा। इसके लिए पटवारी के मार्फत हर एक दोषी के घर पर जुर्माना भरने संबंधी नोटिस तामील कराया जाएगा। यूपी सरकार ने प्रशासन से हर हाल में जुर्माने की वसूली करने के लिए पहले ही कहा है।
न्यायाधिकरण ने अमरोहा जिले के डीएम को आदेश दिया है कि वो यूपी लोक और निजी संपत्ति क्षति वसूली एक्ट की धारा 23 के तहत जुर्माने की वसूली कर राजकोष में जमा कराए। प्रशासन को जुर्माना वसूली का काम अगले 30 दिन में करना होगा। अगर कोई दोषी इस दौरान जुर्माना नहीं भरता, तो उससे वसूली का खर्च और दंड पर 6 फीसदी ब्याज भी लिया जाएगा। 3 दोषियों का पता नहीं चला है। उनकी फोटो समेत पोस्टर छपवाने का आदेश भी दिया गया है। ताकि जानकारी मिलने के बाद उनसे वसूली की जा सके।