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India-China Tension: Apps पर बैन के बाद भारत ने चीन को दिया एक और तगड़ा झटका, जानिए मोदी सरकार का नया आदेश

लद्दाख के मसले पर दोनों देशों के बीच तनाव के बाद भारत ने चीन के 100 से ज्यादा एप्स को भी बैन कर दिया था। इन एप्स को बैन करने के भारत के फैसले का चीन ने विरोध किया, लेकिन मोदी सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया। इसके बाद चीन की तरफ से सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत फिर शुरू की गई।

नई दिल्ली। भारत में चीन के लगातार बढ़ते आर्थिक मकड़जाल को तोड़ने के लिए मोदी सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। मोदी सरकार ने मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे सुरक्षा के लिहाज से चीन में बनने वाली मोबाइल तकनीक या यंत्रों का इस्तेमाल न करें। सोमवार को संचार मंत्रालय ने बाकायदा इसके लिए लाइसेंस की शर्तों में बदलाव कर दिया है। नए शर्तों के तहत मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों को भरोसेमंद सोर्स से तकनीकी और यंत्र खरीदने और इस्तेमाल करने के निर्देश दिए गए हैं। इससे पहले मोदी सरकार ने 5जी सेवा के लिए मोबाइल कंपनियों को चीन के हुआवे या अन्य कंपनियों की तकनीकी या यंत्र लेने पर रोक लगाई थी।

भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के मसले पर करीब 2 साल से तनाव चल रहा है। लद्दाख में चीन और भारतीय सेना के बीच संघर्ष में एक कर्नल समेत 20 जवानों ने वीरगति भी पाई थी। चीन कुछ इलाकों से सेना हटाने पर राजी हुआ, लेकिन अब भी कई जगह उसने सेना नहीं हटाई है। साथ ही बीते दिनों उसके लड़ाकू विमानों ने एलएसी के पास उड़ान भरी थी। जिसके बाद भारतीय वायुसेना ने भी लड़ाकू विमान उड़ाए थे। दोनों ओर से लद्दाख में करीब 60000 जवान और युद्ध सामग्री तैनात है। अब मोबाइल सेवा के लिए तकनीकी और यंत्रों पर रोक लगाने से चीन को अच्छी खासी आर्थिक चोट पहुंचने के आसार हैं।

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बता दें कि लद्दाख के मसले पर दोनों देशों के बीच तनाव के बाद भारत ने चीन के 100 से ज्यादा एप्स को भी बैन कर दिया था। इन एप्स को बैन करने के भारत के फैसले का चीन ने विरोध किया, लेकिन मोदी सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया। इसके बाद चीन की तरफ से सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत फिर शुरू की गई। अब तक 14 दौर में कोर कमांडरों के बीच बातचीत हो चुकी है। फिर भी चीन अपने व्यवहार में सुधार नहीं ला रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने अब उसे और चोट देने की शुरुआत की है। मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियों को अब चीन के अलावा अन्य देशों की तकनीकी और यंत्रों का इस्तेमाल करना होगा।