बेंगलुरु। भारत का चंद्रयान अभियान अपने ऐतिहासिक पल की ओर बढ़ रहा है। आज शाम चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर अपने भीतर प्रज्ञान रोवर को समेटे हुए चांद की सतह पर उतरेगा। चांद पर भारत का यान उतरना पूरी दुनिया में उसके अंतरिक्ष कार्यक्रम चलाने वाले इसरो के वैज्ञानिकों की ताकत भी दिखाएगा। खासकर इस वजह से क्योंकि अमेरिका, रूस, यूरोपीय देश और पड़ोसी चीन को अंतरिक्ष कार्यक्रमों में काफी मजबूत माना जाता है। हालांकि, ये देश अब तक चांद को भेजे गए अभियानों में भारत से एक मायने में कमतर पड़े। भारत ने इन बड़े और तकनीकी तौर पर अगड़े देशों के चंद्र अभियानों के बनिस्बत कम पैसे में चांद पर ऐसी खोज की है, जिसे ये विकसित देश नहीं कर सके थे।
चांद के बारे में माना जाता रहा कि इसकी सतह बंजर है। सूखा है वहां। वहां ऑक्सीजन समेत किसी किस्म की गैस न होने की बात भी सबको पता थी। ऐसे में साल 2008 में जब इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद की ओर पहला चंद्रयान अभियान भेजा, तो उसमें एक प्रोब भी था। इस प्रोब को इसरो के वैज्ञानिकों ने चांद की सतह पर पटका और फिर उसके सेंसर और यंत्रों के जरिए चांद की सतह के बारे में तमाम जानकारियां जुटाईं। वहीं, पहले चंद्रयान का जो प्रपल्शन मॉड्यूल था, वो चांद के चारों तरफ चक्कर काटकर अपने यंत्रों के जरिए धरती के उपग्रह की लगातार मैपिंग करता रहा और उसके फोटो खींचता रहा। चंद्रयान-1 की इसी मैपिंग और फोटोग्राफी के दौरान इसरो के वैज्ञानिक एक दिन खुशी से उछल पड़े। उन्होंने जब चंद्रयान-1 के भेजे गए डेटा और फोटो का विश्लेषण किया, तो वो जानकारी मिली, जो अमेरिका, रूस और चीन समेत किसी भी देश के पास नहीं थी। जानकारी ये मिली कि चांद के ध्रुवों पर बर्फ के रूप में पानी मौजूद है।
इसरो के चंद्रयान-1 अभियान ने चांद पर पानी की खोज कर दुनियाभर से वाहवाही लूटी। इसकी बड़ी वजह ये भी है कि ज्यादातर देश चांद पर बस्तियां बसाने की योजना बनाने में लगे हैं। चांद पर बस्ती बसाकर ये देश मंगल ग्रह तक के अभियान के लिए वहां से रॉकेट लॉन्च करना चाहते हैं। चांद पर ऑक्सीजन नहीं है। वहां पेड़-पौधे भी नहीं हैं। सूखी-बंजर जमीन वाले चांद में बर्फ के रूप में पानी का मिलना वहां इंसानी बस्ती बसाने के लिए अहम खोज है। इस खोज को भारत के वैज्ञानिकों ने करके दिखाया। अब चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर आज अगर सकुशल चांद पर उतरता है और उसका प्रज्ञान रोवर ठीक से अगले 14 दिन तक काम करता है, तो चांद के और तमाम छिपे हुए रहस्य भी सामने आ सकते हैं।