newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

प्रणब मुखर्जी की किताब के इस अंश से परेशान कांग्रेस, ‘भारत में विलय चाहता था नेपाल, मगर नेहरू ने ठुकराया था प्रस्ताव’

Jawaharlal Nehru: पूर्व राष्ट्रपति ने दावा किया है कि नेपाल(Nepal) को भारत में विलय करने के प्रस्ताव को नेहरू ने खारिज कर दिया था। उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी में दावा किया है कि, नेपाल के भारत में विलय करने के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने प्रस्ताव भी दिया था

नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू(Jawahar Lal Neharu) को लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी(Pranab Mukherjee) ने अपनी बहुचर्चित ऑटोबायोग्राफी ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ में चौंकाने वाला दावा किया है। पूर्व राष्ट्रपति ने दावा किया है कि नेपाल(Nepal) को भारत में विलय करने के प्रस्ताव को नेहरू ने खारिज कर दिया था। उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी में दावा किया है कि, नेपाल के भारत में विलय करने के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने प्रस्ताव भी दिया था लेकिन उनके इस प्रस्ताव को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ठुकरा दिया था। हालांकि नेहरू द्वारा इस प्रस्ताव को ठुकराए जाने पर उन्होंने यह भी कहा कि अगर नेहरू की जगह इंदिरा गांधी होतीं तो शायद ऐसा नहीं करतीं और राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेतीं। बता दें कि प्रणब मुखर्जी ने ऑटोबायोग्राफी ‘द प्रेसिडेंशियल ईयर्स’ के चैप्टर 11 ‘माई प्राइम मिनिस्टर्स: डिफरेंट स्टाइल्स, डिफरेंट टेम्परमेंट्स’ शीर्षक के तहत लिखा है कि राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने नेहरू को यह प्रस्ताव दिया था कि नेपाल का भारत में विलय कर उसे एक प्रांत बना दिया जाए।

jawahar lal nehru

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि, इस प्रस्ताव के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री ने इसे ठुकरा कर दिया था। उन्होंने आगे लिखा है कि अगर इंदिरा गांधी नेहरू के स्थान पर होतीं तो इस अवसर को जाने नहीं देतीं जैसे उन्होंने सिक्किम के साथ किया था। अपनी किताब में मुखर्जी ने लिखा है, ‘नेहरू ने नेपाल से बहुत कूटनीतिक तरीके से निपटा। नेपाल में राणा शासन की जगह राजशाही के बाद हरू ने लोकतंत्र को मजबूत करने अहम भूमिका निभाई। दिलचस्प बात यह है कि नेपाल के राजा त्रिभुवन बीर बिक्रम शाह ने नेहरू को सुझाव दिया था कि नेपाल को भारत का एक प्रांत बनाया जाए। लेकिन नेहरू ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।’

उनका कहना है कि नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र है और उसे ऐसा ही रहना चाहिए। वह आगे लिखते हैं कि अगर इंदिरा गांधी उनकी जगह होतीं, तो शायद वह अवसर का फायदा उठातीं, जैसा कि उन्होंने सिक्किम के साथ किया था। भारत के पूर्व प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रणब मुखर्जी अपनी किताब में उल्लेख किया है कि प्रत्येक पीएम की अपनी कार्यशैली होती है, एक दूसरे से अलग भी। लाल बहादुर शास्त्री ने ऐसे पद संभाले जो नेहरू से बहुत अलग थे। उन्होंने लिखा कि विदेश नीति, सुरक्षा और आंतरिक प्रशासन जैसे मुद्दों पर एक ही पार्टी के होने पर पर भी प्रधानमंत्रियों के बीच अलग-अलग धारणाएं हो सकती हैं।

Pranab Mukherjee

बता दें कि पिछले साल अपने निधन से पहले उन्होंने यह पुस्तक लिखी थी। उनके द्वारा लिखी गई इन बातों से अब कांग्रेस खुद को असहज महसूस कर रही है। बता दें कि यह पुस्तक रूपा प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है। बीते मंगलवार को यह पुस्तक बाजार में आई है। अब इसे लेकर दिवंगत नेता के बच्चों में मतभेद उभर आए हैं। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने मंगलवार को पब्लिकेशन हाउस से किताब का प्रकाशन रोकने को कहा। उन्होंने कहा कि वह एक सामग्री को देखना और अप्रूव करना चाहते हैं। इस बीच उनकी बहन और कांग्रेस पार्टी की प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि उनके पिता किताब को अप्रूव कर चुके थे। साथ ही उन्होंने अभिजीत को सस्ती लोकप्रियता से बचने की नसीहत दी है।