नई दिल्ली। जेएनयू का विवाद अब और आगे बढ़ता नजर आ रहा है। देशभर से 208 उप-कुलपतियों और प्रॉफेसरों ने इस सिलसिले में पीएम को चिट्ठी लिखी है। इन सभी ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया है कि उनके कैंपस में वामपंथी विचारधारा के छात्रों की ओर से आये दिन समस्या खड़ी की जा रही है। छात्रों के अधिकार दिलाने की आड़ में वामपंथी लोग अपनी राजनीतिक आकांक्षा पूरी करना चाहते हैं।
इस चिट्ठी में यह भी लिखा है कि जेएनयू, जामिया, एएमयू और जाधवपुर यूनिवर्सिटी में जो घटनाएं हुई हैं, ये सब इसी बात का सबूत हैं। वामपंथी विचारधारा के इस कृत्य से विश्वविद्यालयों में पढ़ाई का माहौल खराब हो रहा है और छात्रों का रुझान अकादमिक चीजों की जगह राजनीति की ओर बढ़ता जा रहा है।
चिट्ठी में असहिष्णुता के दंश का भी ज़िक्र है। इसमे लिखा है कि वामपंथी विचारधारा के जरिये इन छात्रों में असहिष्णुता पैदा किया जा रहा है जो सार्वभौमिकता और व्यक्तिगत आजादी के खिलाफ है। इससे न केवल छात्रों में हिंसक प्रवृत्ति बढ़ रही है बल्कि शिक्षकों और प्रबुद्धजनों के खिलाफ भी असहिष्णुता बढ़ रही है।
पीएम को लिखे पत्र में कहा गया है कि अपनी मांग को लेकर हड़ताल, धरना-प्रदर्शन और विश्वविद्यालय को बंद करवा देना आये दिनों की बात हो गयी है। जो लोग वामपंथी विचार से ताल्लुक नहीं रखते उनको व्यक्तिगत रूप से टारगेट करना, सामाजिक रूप से बेइज्जत करना दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है।
इससे सबसे ज्यादा नुकसान उन छात्रों का हो रहा है जो वंचित और गरीब परिवारों से आते हैं। पत्र में ये अपील की गई है कि जो भी लोग शैक्षणिक स्वतंत्रता, स्वायत्तता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास रखते हों, वह उनका साथ दें।