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कमलनाथ सरकार को राज्यपाल की अंतिम चेतावनी, 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराएं अन्यथा बहुमत नहीं

राज्यपाल की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि दी गयी तारीख 17 मार्च को अगर कमलनाथ सरकार बहुमत साबित नहीं करेगी तो उसे अल्पतम में माना जाएगा। राज्यपाल ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि उनके कहने के बावजूद आज फ्लोर टेस्ट क्यों नहीं कराया गया

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में इस वक्त सियासी हलचल बहुत तेज है। कोरोनावायरस के प्रभाव के चलते सोमवार को फ्लोर टेस्ट नहीं हो सका। भाजपा और कांग्रेस को मध्यप्रदेश विधानसभा में राज्यपाल के सामने बहुमत साबित करने के लिए 16 तारीख निर्धारित की गयी थी मगर प्रदेश में फैले कोरोनावायरस के चलते फ्लोर टेस्ट नहीं हो सका। लेकिन अब भी राज्य में सियासी नाटक लगातार जारी है। अब राज्यपाल ने 17 मार्च को सीएम कमलनाथ को बहुमत साबित करने को कहा है।
kamalnath

इस बाबत राज्यपाल की तरफ से एक पत्र जारी किया गया है। जिसमें कहा गया है कि दी गयी तारीख 17 मार्च को अगर कमलनाथ सरकार बहुमत साबित नहीं करेगी तो उसे अल्पतम में माना जाएगा। राज्यपाल ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि उनके कहने के बावजूद आज फ्लोर टेस्ट क्यों नहीं कराया गया?

राज्यपाल के मुताबिक स्पीकर की ओर से जिन बातों को आधार बनाया गया है, वह सारी बातें आधारहीन हैं। इससे पहले सरकार ने संकट से बचने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को ढाल बना लिया था और राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट के निर्देश को नजरअंदाज कर दिया था।

LG's letter to kamalnath

 

स्पीकर की ओर से सदन को 26 मार्च तक के लिए स्थगित कर दिया गया। यह सब कोरोना वायरस के नाम पर किया गया। हकीकत में समीकरण कमलनाथ सरकार के खिलाफ हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के पास 114 विधायक थे जबकि बीजेपी के पास 107 विधायक थे। बीएसपी के दो सपा के एक  व चार निर्दलीय कांग्रेस के साथ थे। 2 सीटें सदस्यों करने के निधन के चलते खाली हैं मगर नए समीकरणों में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद 22 कांग्रेसी विधायक इस्तीफा दे चुके हैं।

kamalnath

इनमें 6 बागी कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है। इस तरह कांग्रेस के विधायकों का आंकड़ा 108 पहुंचता है, जिनमें से अभी भी 16 विधायक बागी हैं। ऐसे में इन 16 विधायकों का इस्तीफा मंजूर कर लिया जाता है तो कांग्रेस विधायकों का 92 का आंकड़ा है। यही आंकड़ा कमलनाथ सरकार की चिंता का सबब बना हुआ है। कमलनाथ सरकार का गिरना तय है। हालांकि कमलनाथ सरकार खुद को बचाए रखने के लिए अपने बागी विधायकों को मनाने में जुटी है।