नई दिल्ली। अपने सरकारी आवास के रिनोवेशन में 45 करोड़ रुपए के करीब खर्च करने के मामले में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और घिरते दिख रहे हैं। दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर वीके सक्सेना ने इस मामले में दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी से रिपोर्ट मांगी है। सक्सेना ने चीफ सेक्रेटरी से 15 दिन में रिपोर्ट देने को कहा है। एलजी ने संबंधित दस्तावेजों को अपने कब्जे में लेने के लिए भी आदेश दिया है। न्यूज चैनल टाइम्स नाउ नवभारत ने दस्तावेजों के हवाले से खुलासा किया था कि किस तरह केजरीवाल ने अपने सरकारी आवास के रिनोवेशन में पानी की तरह पैसा बहाया है। ये रकम उस वक्त खर्च की गई, जब दिल्ली में लोग कोरोना से परेशान थे और उनको ऑक्सीजन तक नहीं मिल रही थी। बीजेपी ने इस मामले में केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की है। वहीं, आम आदमी पार्टी ने पीएम नरेंद्र मोदी के सरकारी आवास पर हो रहे खर्च का मुद्दा उठाकर पलटवार किया है।
न्यूज चैनल ने दस्तावेजों के हवाले से बताया था कि केजरीवाल ने अपने सरकारी बंगले में करीब पौने 4 लाख से 8 लाख तक के पर्दे लगवाए। 10-10 हजार रुपए कीमत की टॉयलेट सीट लगवाईं। घर में मकराना की जगह वियतनाम से मंगाया गया महंगा संगमरमर लगवाया। इसके अलावा सीएम आवास में पड़ोस के दो बंगलों और 8 सरकारी फ्लैट को मिलाए जाने की भी तैयारी के बारे में चैनल ने जानकारी दी थी। जिसकी वजह से केजरीवाल पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। दरअसल, इसकी वजह ये है कि केजरीवाल अब तक खुद को आम आदमी बताते रहे हैं।
केजरीवाल ने साल 2013 में सीएम बनने के पहले एक हलफनामा दिल्ली की जनता के नाम जारी किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि वो सरकारी बंगला नहीं लेंगे। सरकारी गाड़ी नहीं लेंगे। सुरक्षा भी ज्यादा नहीं रखेंगे। अब अपने आवास के रिनोवेशन में दिल्ली सरकार का पैसा खर्च करने के मामले में वो घिर गए हैं। केजरीवाल सरकार पहले ही शराब घोटाले और विज्ञापन पर बेहिसाब खर्च करने के मामले में विपक्ष का निशाना बनती रही है।