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Law Against Hate Speech: सोशल मीडिया पर हेट स्पीच फैलाने वालों की अब खैर नहीं, सरकार ला रही कानून

सूत्रों के मुताबिक हेट स्पीच के खिलाफ बनने वाले कानून में सिर्फ हिंसा फैलाने वाला कंटेंट ही नहीं शामिल किया जाएगा, बल्कि इसमें झूठ और आक्रामक विचार रखने वालों को भी दायरे में लिया जाएगा। सरकार पहले भी इस मामले पर कानून लाने के लिए सोच रही थी।

नई दिल्ली। हाल में उपजे ज्ञानवापी मस्जिद विवाद और नूपुर शर्मा पर लगे कथित तौर पर पैगंबर विरोधी बयान के आरोप के बाद देश के हालात को देखते हुए मोदी सरकार नया कदम उठाने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक सरकार अब हेट स्पीच पर सख्ती बरतेगी और इसके लिए वो जल्दी ही हेट स्पीच पर कानून लाने जा रही है। इस कानून का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है और इसमें हेट स्पीच का पैमाना तय किया जाएगा। माना जा रहा है कि जल्दी ही आम जनता के लिए ड्राफ्ट जारी कर आपत्तियां ली जाएंगी और फिर संसद में इसी साल कानून पास कराया जाएगा।

सूत्रों के मुताबिक हेट स्पीच के खिलाफ बनने वाले कानून में सिर्फ हिंसा फैलाने वाला कंटेंट ही नहीं शामिल किया जाएगा, बल्कि इसमें झूठ और आक्रामक विचार रखने वालों को भी दायरे में लिया जाएगा। सरकार पहले भी इस मामले पर कानून लाने के लिए सोच रही थी, लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह के हालात देश में पैदा हुए और सोशल मीडिया के जरिए जिस तरह जहर उगला जा रहा है, उसे देखते हुए मोदी सरकार ने और देर न करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट भी कई बार कह चुका है कि सोशल मीडिया पर शिकंजा कसने की जरूरत है। कल ही जस्टिस जेबी पारदीवाला ने भी एक कार्यक्रम में कहा था कि अब वक्त आ गया है कि सोशल मीडिया पर शिकंजा कसने के लिए सरकार कानून बनाए। जस्टिस पारदीवाला का कहना था कि सोशल मीडिया में जिस तरह कोर्ट के फैसलों पर उंगली उठाई जाती है, उससे कानून का राज स्थापित करने में दिक्कत होती है।

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सूत्रों के मुताबिक नए कानून में लोगों को बताया जाएगा कि उन्हें सोशल मीडिया पर क्या लिखना है और क्या नहीं। इसके अलावा पहचान छिपाकर आक्रामक विचार फैलाने, भेदभाव बढ़ाने वाली और नस्लीय टिप्पणियों को भी हेट स्पीच कानून के दायरे में रखा जाएगा। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी कार्रवाई का रास्ता खोला जाएगा। यानी उन्हें सिर्फ इंटरमीडिअरी होने की छूट नहीं मिलेगी।