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क्या भारत के साथ अभी युद्ध का जोखिम ले सकता है चीन?, जानिए ड्रैगन कैसे अंदर से हो चुका है खोखला…

आपको पता ही है चीनी सेना कागज के शेर हैं। जिसके पास जमीनी युद्ध का लंबे समय से कोई अनुभव नहीं है। हां, वह वीडियो गैम की तरफ कृत्रिम लड़ाई लड़कर अपना मन बहलाते रहते हैं।

नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा विवाद में 15 जून की गलवान घाटी ने एक ऐसा मोड़ ला दिया जिसके बाद लगने लगा कि दोनों देश एक दूसरे से युद्ध के मुहाने पर आ खड़े हुए हैं। जंग अब हुई की तब हुई। भारत की जनता का मन अपने 20 जवानों की शहादत के बाद से आक्रोशित हो उठा वहीं भारत सरकार की तरफ से भी चीन को दो टूक कह दिया गया कि भारतीय सेना तैयार है वह किसी भी तरह की स्थिति से निपट लेगी। चीनी की मीडिया उस दिन के बाद से लगातार लेख और वीडियो के माध्यम से भारत को गीदड़ भभकी देने में लगे हुए हैं। लेकिन हकीकत उन्हें भी पता है कि क्या भारत के साथ चीन युद्ध का जोखिम ले सकता है। आप वहां के मीडिया के धूरंधरों से भी पूछेंगे तो आपको एक ही जवाब मिलेगा, नहीं। इसके पीछे के कई कारण हैं। आइए आपको बताते हैं कि अपने को सबसे ताकतवर बतानेवाला चीन आखिऱ भारत से युद्ध के नाम पर भिंगी बिल्ली क्यों बन गया है। भारतीय सेना के तेवर देखकर उसकी सेना के कदम क्यों कांपने लगे हैं।

India china army

सबको पता है कि पूरी दुनिया में कोरोना बांटकर चीन मंदी और आंतरिक मुद्दों से जूझ रहा है। ताइवान और हांगकांग बगावती तेवर अपनाए हुए हैं। चीन को सबसे बड़ा डर लोकतंत्र से लगता है। ऐसे में अपने देश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए वह युद्ध का माहौल निर्मित कर रहा है। अपनी विस्तारवादी नीति के चलते चीन अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में काफी विरोध झेल रहा है।

अब जानिए कहां-कहां मात खा रहा है चीन

सैन्य ताकत और उसकी तैनाती में

आपको पता ही है चीनी सेना कागज के शेर हैं। जिसके पास जमीनी युद्ध का लंबे समय से कोई अनुभव नहीं है। हां, वह वीडियो गैम की तरफ कृत्रिम लड़ाई लड़कर अपना मन बहलाते रहते हैं। एक युद्ध के दौरान किसी देश को ये चाहिए होता है कि वह फ्रंटलाइन पर अपनी सेनाओं को जल्द से जल्द पहुंचाए, और ये वो आखिरी काम है जो चीन अभी कर सकता है। चीन इस वक्त कई मोर्चे पर लड़ रहा है। इसकी जमीनी सेनाएं, नौसेना, युद्ध विमान सभी इस वक्त व्यस्त हैं। एक तरफ, चीनी लड़ाकू जेट ताइवान के हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करने में व्यस्त हैं, वहां वो एकीकरण की लड़ाई लड़ रहा है और दूसरी तरफ, चीन ने दक्षिण चीन सागर में अपने जहाज लगा रखे हैं, जो पानी और उसके द्वीपों पर अपना दावा मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। अकेले दक्षिण चीन सागर में, बीजिंग इस वक्त 6 देशों – ताइवान, वियतनाम, फिलीपींस, ब्रुनेई, इंडोनेशिया और मलेशिया के खिलाफ खड़ा है और अब तो जापान भी उसके खिलाफ समुद्र में डटा खड़ा है और उसकी नौसेना को खदेड़ चुका है।

Indian China LAC

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी कृत्रिम द्वीप बनाकर युद्ध अभ्यास कर रही है। वियतनाम से मिली हार के इतने सालों बाद भी चीनी सेना ने किसी भी देश के साथ सीधा युद्ध नहीं लड़ा है। यही नहीं, चीन के संबंध अभी जापान के साथ भी खराब हैं। क्योंकि बीजिंग के जहाज हाल ही में जापानी जल सीमा में प्रवेश कर गए थे और ऐसा करते हुए जापान सातवां देश बन गया जिसके साथ चीन का जल विवाद हो। उसके बाद आता है हांगकांग और वहां लोकतंत्र समर्थक आंदोलन चल रहा है। भारत के साथ युद्ध करने का मतलब होगा हांगकांग से अपना ध्यान हटा लेना और बीजिंग ये नहीं चाहता कि वहां विद्रोह हो।

चीन के अंदर ही मचा घमासान

hongkong

चीन पहले से ही अपने घरेलू मामलों पर संघर्ष कर रहा है। चीन अभी भी तिब्बत पर अपने दावों को वैध बनाने की लड़ाई लड़ रहा है। बाहरी मंगोलिया के दोबारा एकीकरण की भी वकालत कर रहा है। इसके अलावा, चीनी सैनिक शिनजियांग में उइगर मुस्लिमों के अभियोजन में लगे हुए हैं और कहा ये भी जा रहा है कि बीजिंग में कोरोना वायरस की दूसरी लहर का भी खतरा है। क्या चीन इन सभी मोर्चों को छोड़कर भारत-चीन सीमा पर जा सकता है?

china-india

चीन के पास अर्थ की भी है कमी

अब एक बार सोचिए चीनी सैनिक इन मामलों से हटकर लद्दाख पहुंच भी जाते हैं, तो सवाल ये उठता है कि क्या चीन सरकार अभी युद्ध के लिए फंड दे पाएगी? 2020 की पहली तिमाही में चीन की जीडीपी 20.65 ट्रिलियन युआन (2.91 ट्रिलियन डॉलर) रही। उनकी जीडीपी साल दर साल 6.9 प्रतिशत कम हो रही है। केवल जीडीपी में ही गिरावट नहीं देखी गई है; अन्य देशों के साथ चीन के संबंधों में भी खटास दिख रही है, जिसकी वजह से कई उद्योग चीन से बाहर जा रहे हैं। वहां मैन्युफैक्चरिंग कम हुई है, और इसीलिए मांग में भी कमी आई है। आयात में 8.5 फीसदी की गिरावट हुई है।

Indian -China Army

ऊपर से चीन से फैले कोरोनावायरस ने चीन की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है, और इसका नतीजा ये है कि लोगों की नौकरियां जा रही है और संघर्ष की स्थिति बन गई है। ऐसे में युद्ध शायद आखिरी चीज है जिसके बारे में चीन सोचेगा।

कई देशों से चल रहा है चीन का व्यापार युद्ध

china america

चीन-अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध कर रहा है। हालांकि आर्थिक रूप से युद्ध तो वो ऑस्ट्रेलिया के साथ भी लड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के साथ व्यापार युद्ध में चीन को 2019 की पहली छमाही में 35 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। कंप्यूटर और ऑफिस मशीनरी सबसे ज्यादा प्रभावित हुए क्षेत्रों में से थे। भारत से लड़ने का मतलब होगा कि भारतीय बाजारों से भी हाथ धो बैठना, और अकेले निर्यात से 74.72 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान उठाना।

वैश्विक स्तर पर भी हुआ है चीन की छवि को नुकसान

भारत के साथ युद्ध का जोखिम नहीं लेने का एक और कारण भी है, वो है कर्ज में डूबे पाकिस्तान और विनम्र नेपाल को छोड़कर वर्तमान में चीन के पास सहयोगियों की कमी। जबकि दूसरी ओर, भारत को कूटनीतिक और सैन्य रूप से दुनिया की प्रमुख शक्तियों का समर्थन प्राप्त है। अगर चीन लद्दाख में हमला करता है तो उसे सभी मोर्चों से अलग कर दिया जाएगा और उसकी अर्थव्यवस्था बैठ जाएगी। चीन को कूटनीतिक रूप से अलग-थलग होने का खतरा है, और हो सकता है कि चीनी इस आघात को झेल न पाए।

अब एक बार दोनों सेना की ताकत को भी देख लेते हैं