नई दिल्ली। किसान आंदोलन पिछले 29 दिनों से जारी है और किसानों ने दिल्ली की सीमा से सटे कई सड़कों पर अपना डेरा डाल रखा है। किसान नेताओं की एक ही मांग है कि इस आंदोलन को तभी समाप्त किया जा सकता है जब कृषि कानून को सरकार वापस लेती है। इस आंदोलन को विपक्षी दलों का भी पूरा समर्थन मिल रहा है। वहीं कांग्रेस के नेता इस आंदोलन के बीच अपनी राजनीतिक जमीन भी तलाश कर रहे हैं। राहुल गांधी दो बार इस कृषि कानून को रद्द करने की मांग के साथ राष्ट्रपति से भी मिल चुके हैं। वहीं राहुल गांधी का ही एक वीडियो इस कानून के बनने से पहले 2013 का है जो खूब वायरल हुआ। जिसमें वह अपनी पार्टी के द्वारा शाषित राज्यों से APMC एक्ट को हटाने का बात कर रहे थे। इसके साथ ही राहुल गांधी उस वीडियो में यह भी कहते नजर आए कि इससे किसानों को फायदा होगा और वह मुक्त बाजार में कहीं भी अपने उत्पाद बेच सकेंगे। इसके बाद कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री का सोशल मीडिया पर लिखा पोस्ट भी वायरल हो गया था जिसमें उन्होंने कृषि में निजी निवेश से होनेवाले पंजाब के किसानों के फायदे का जिक्र किया था। वहीं एक और दल आम आदमी पार्टी भी APMC एक्ट में संशोधन की वकालत कर चुकी है और किसानों के फायदे के लिए कृषि में निजी निवेश का वादा पंजाब चुनाव में कर चुकी थी अब वह कृषि बिल का विरोध कर रही है।
अब कांग्रेस नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बनाए गए 3 कृषि कानूनों का विरोध कर रही है और कह रही है कि इससे देश के किसानों को नुकसान होगा। ऐसे में वह किसानों के साथ खड़े हैं। जबकि राहुल गांधी ये तक बोल चुके हैं कि किसान किसी भी हालत में आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। सरकार को अपने अंदर से ये बात निकाल देनी चाहिए की कृषि कानूनों को खारिज करने से कम पर किसान मानने वाले नहीं हैं। ऐसे में भाजपा की तरफ से वामदलों और कांग्रेस को इस आंदोलन में आग में घी डालने वाला बताया जा रहा है।
अब किसान आंदोलन का विरोध कर रहे कांग्रेस के तीन दिग्गज नेता सोनिया गांधी, राहुल गांधी और मनमोहन सिंह का पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। उसमें वह कृषि कानूनों को लेकर जो कह रहे हैं उसे सुनने के बाद आपको पता चल जाएगा कि कांग्रेस जिस बिल का अभी विरोध कर रही है। उस बिल की सोच कांग्रेस के अंदर हमेशा से रही लेकिन केवल अपनी राजनीतिक जमीन बचाने के लिए ही कांग्रेस किसान आंदोलन के बीच इस कानून का विरोध कर रही है।
किसानों पर कांग्रेस की ‘अवसरवादी’ राजनीति उजागर, मनमोहन और राहुल ने खेती व्यवसाय में निजी कंपनियों के एंट्री की थी वकालत
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आपको बता दें कि अपने 2019 के चुनाव घोषणापत्र में कांग्रेस ने निजी क्षेत्र की भागीदारी को सक्षम करने के लिए एपीएमसी अधिनियम को कम करने/ रद्द करने का वादा किया था। अब इसी कानून का कांग्रेस केवल ‘राजनीतिक लाभ’ के लिए विरोध कर रही है। इस सब के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का एक और वीडियो सामने आया है, जहां मनमोहन सिंह और राहुल गांधी सहित पार्टी के शीर्ष नेता खुदरा क्षेत्र में एफडीआई को लाने की बात को जायज ठहरा रहे हैं और मानते हैं कि किसानों को सशक्त बनाने के लिए यह एक प्रभावी समाधान है। दोनों को यह कहते सुना जा सकता है कि इससे भंडारण बढ़ेगा और कृषि उपज का अपव्यय कम होगा।
2011 में राहुल गांधी ने कृषि सेक्टर में एफडीआई की अनुमति के लिए समर्थन दिया। उन्होंने तब यह कहा था कि किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने की अनुमति इस एफडीआई के जरिए मिलेगा। उन्होंने यह भी दावा किया था कि एफडीआई लागू होने से किसानों को मंडियों में उच्च परिवहन लागत के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं होगी और वे अंततः अपना हक प्राप्त करेंगे। राहुल ने तब कहा था कि लगभग 60% सब्जियां बेकार हो जाती हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान होता है। एफडीआई किसानों को सीधे अपनी उपज बेचने का मौका प्रदान करेगा।
किसानों की तरक्की तब तक संभव नहीं, जब तक बिचौलियों का रहेगा बोलबाला: सोनिया गांधी का पुराना वीडियो वायरल
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वहीं कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जहां उन्हें बिचौलियों को खेती के व्यवसाय से दूर करने की बात करते सुना जा सकता है। सोनिया गांधी ने एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए तब कहा था कि, किसान को उचित मूल्य तभी मिल सकता है जब वह अपनी उपज सीधे बिचौलियों के बिना बेच सकता है। ऐसे में किसानों को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रहे कांग्रेस नेताओं की मंशा को समझना कोई भारी काम नहीं है।