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Politics On UCC: समान नागरिक संहिता पर सियासत हावी, संविधान में लिखा है कि बनाओ कानून, लेकिन कांग्रेस समेत ये विपक्षी दल विरोध पर अड़े

संविधान पर सियासत हावी होती दिख रही है। मसला समान नागरिक संहिता यानी UCC का है। राज्यसभा में शुक्रवार को बीजेपी के सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने समान नागरिक संहिता लाने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। इसका कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल विरोध करने पर उतारू हैं।

नई दिल्ली। संविधान पर सियासत हावी होती दिख रही है। मसला समान नागरिक संहिता यानी UCC का है। राज्यसभा में शुक्रवार को बीजेपी के सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने समान नागरिक संहिता लाने के लिए प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया। संविधान के नीति निर्देशक तत्वों के तहत अनुच्छेद 44 बनाकर उसमें कहा भी गया है कि सरकार आगे चलकर समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में काम करेगी, लेकिन मीणा की तरफ से लाए गए समान नागरिक संहिता बिल का विपक्षी दलों ने विरोध शुरू कर दिया है। कांग्रेस, सपा और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस TMC ने बिल के खिलाफ आवाज उठाई, हालांकि बिल पेश करने की राह में वे रोड़े नहीं अटका सके।

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समान नागरिक संहिता का बिल पेश करने वाले सांसद किरोड़ीलाल मीणा (फाइल फोटो)

जब किरोड़ीलाल मीणा ने समान नागरिक संहिता लाने के लिए कमेटी बनाने का बिल राज्यसभा में पेश किया, तो कांग्रेस, सपा और टीएमसी के सांसद इसके विरोध में उतर आए। इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने इस मामले में वोटिंग कराई। वोटिंग में बिल लाने के पक्ष में 63 और विपक्ष में 23 वोट पड़े। अगर ये बिल राज्यसभा में पास हो जाता है, तो लोकसभा में भी पास होने की पूरी संभावना बन जाएगी। जिससे देश में कुछ संप्रदायों के पर्सनल लॉ लागू नहीं रह सकेंगे। इस बिल के विरोध में कांग्रेस और सपा ने क्या कहा, ये भी आप देख लीजिए।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और कई हाईकोर्ट ने पहले अपने फैसलों के दौरान केंद्र सरकार से समान नागरिक संहिता लाने के लिए कहा भी है। इसके अलावा उत्तराखंड, कर्नाटक और गुजरात सरकार ने इसे लागू करने के लिए रिटायर्ड जजों की अध्यक्षता में कमेटियां भी बनाई हैं। कांग्रेस और कई विपक्षी दल समान नागरिक संहिता लागू करने का विरोध कर रहे हैं। जबकि, बीजेपी हर बार इसे चुनावी एजेंडे में शामिल करती है। ऐसे में माना जा रहा है कि समान नागरिक संहिता पर संसद में पेश प्राइवेट मेंबर बिल को मोदी सरकार और बीजेपी की तरफ से समर्थन मिल सकता है। हालांकि, इसे दो-तिहाई बहुमत से दोनों जगह पास कराना होगा। लोकसभा में ऐसा समर्थन तो मिल जाएगा, लेकिन राज्यसभा में बिल को पास कराने के लिए कई विपक्षी दलों की मदद लेनी होगी।