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Gyanvapi Masjid: ज्ञानवापी मस्जिद के व्यासजी तहखाने में जारी रहेगी पूजा, इलाहाबाद हाईकोर्ट से मुस्लिम पक्ष को आज भी नहीं मिली राहत

Gyanvapi Masjid: इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर आज सुनवाई की और फिर 15 फरवरी की अगली तारीख तय कर दी। मस्जिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस दौरान हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा।

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट से ज्ञानवापी मस्जिद की मसाजिद कमेटी को फिर राहत नहीं मिल सकी। अभी ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा जारी रहेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर आज सुनवाई की और फिर 15 फरवरी की अगली तारीख तय कर दी। मस्जिद कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इस दौरान हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखा। हिंदू पक्ष और यूपी सरकार को अपना पक्ष रखने का मौका आज नहीं मिला। करीब 1 घंटे 20 मिनट की सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यासजी के तहखाने में पूजा-पाठ पर कोई रोक नहीं लगाई है। मसाजिद इंतजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड ने अदालत में आज भी यही दलील दी कि व्यासजी के तहखाने पर कभी हिंदुओं का दावा नहीं रहा।

ज्ञानवापी मस्जिद स्थित व्यासजी के तहखाने में पूजा की मंजूरी जिला जज वाराणसी ने दी थी।

मुस्लिम पक्ष ने कहा कि बाबरी मामले में निर्मोही अखाड़े के एक व्यक्ति ने पूजा के अधिकार की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उसे ठुकरा दिया था। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में कहा कि वाराणसी के जिला जज को भी व्यासजी के तहखाने में पूजा का अधिकार देने की अर्जी पर पूछना चाहिए था कि आखिर किस अधिकार से ये अर्जी दाखिल की गई है। मुस्लिम पक्ष ने कहा कि अर्जी की पोषणीयता जिला जज को तय करनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने पूजा करने का आदेश जारी कर दिया। 15 फरवरी को होने वाली सुनवाई में हिंदू पक्ष, यूपी सरकार और काशी विश्वनाथ ट्रस्ट की तरफ से अपनी बात कही जाएगी।

allahabad high court

वाराणसी के जिला जज रहे डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने व्यासजी के तहखाने में पूजा का अधिकार 31 जनवरी को दिया था और उसी रात से पूजा शुरू हो गई। इससे पहले 17 जनवरी को जिला जज ने व्यासजी के तहखाने को जिला प्रशासन के अधिकार में दे दिया था। पूजा के इस अधिकार को मुस्लिम पक्ष ने पहले सुप्रीम कोर्ट ले जाने की कोशिश की, लेकिन वहां से इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा गया। फिर मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट गया। हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से कहा कि उनकी अर्जी गलत है और उनको 17 जनवरी के जिला जज के आदेश को चुनौती देने वाली अर्जी देनी चाहिए। जिसके बाद मुस्लिम पक्ष ने अर्जी में बदलाव कर फिर से दाखिल किया।