नई दिल्ली। लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के बगल में पीएम नरेंद्र मोदी ने सेंगोल स्थापित कराया है। अब समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी लिखकर सेंगोल को हटाने और उसकी जगह संविधान की विशाल प्रति स्थापित करने की मांग कर दी है। सेंगोल जब स्थापित किया जा रहा था, तभी इस पर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे। अब सेंगोल को हटाने के मसले पर सियासत के एक बार फिर गर्माने के आसार हैं।
समाजवादी पार्टी के टिकट पर आरके चौधरी इस बार लखनऊ की मोहनलालगंज सीट से जीते हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को लिखी चिट्ठी में सेंगोल को देखकर आश्चर्यचकित होने की बात कही है। समाजवादी पार्टी के सांसद आरके चौधरी ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि संविधान लोकतंत्र का पवित्र ग्रंथ है। आगे उन्होंने लिखा है कि सेंगोल यानी राजदंड राजतंत्र का प्रतीक है। आरके चौधरी ने हमारी संसद लोकतंत्र का प्रतीक है, किसी राजे-रजवाड़े का राजमहल नहीं। इसके बाद ही उन्होंने सेंगोल को हटाने की मांग की है।
बता दें कि नया संसद भवन बनने के बाद पिछले साल लोकसभा कक्ष में सेंगोल को स्थापित किया गया था। सेंगोल इससे पहले प्रयागराज के आनंद भवन म्यूजियम में रखा हुआ था। वहां सेंगोल को पहले पीएम जवाहरलाल नेहरू की सोने की वॉकिंग स्टिक के तौर पर प्रदर्शित किया जा रहा था। जबकि, देश को आजादी मिलने के वक्त 14 अगस्त 1947 को तमिलनाडु के अधीनम संतों ने ये सेंगोल नेहरू को भेंट किया था। सेंगोल को पहले अधीनम संत तत्कालीन वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन के पास ले गए थे। फिर उसे नेहरू को सौंपा था। इतिहास से इसका पता चलने के बाद पीएम मोदी ने सेंगोल की तलाश कराई और फिर उसे प्रयागराज से लाकर नए संसद भवन के लोकसभा कक्ष में अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया। इस दौरान तमिलनाडु के अधीनम संत भी आमंत्रित किए गए थे। उस वक्त भी तमाम विपक्षी नेताओं ने लोकसभा सदन में सेंगोल स्थापित करने पर सवाल उठाए थे।