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27 देशों ने शुरू की चीन की चौतरफा घेराबंदी, अमेरिका, ब्रिटेन के साथ मिलकर ड्रैगन को करारा जवाब देने की तैयारी!

चीन का चेहरा अब धीरे धीरे दुनिया के सामने आ रहा है। चीन पर सीमा पर जोर जबरदस्ती, हांगकांग में अत्याचार, मानवाधिकार का उल्लंघन और कोरोना वायरस फैलाने का आरोप है। ऐसा लग रहा है अब चीन की इन हरकतों से पूरी दुनिया अब तंग आ चुकी है।

नई दिल्ली। चीन का चेहरा अब धीरे धीरे दुनिया के सामने आ रहा है। चीन पर सीमा पर जोर जबरदस्ती, हांगकांग में अत्याचार, मानवाधिकार का उल्लंघन और कोरोना वायरस फैलाने का आरोप है। ऐसा लग रहा है अब चीन की इन हरकतों से पूरी दुनिया अब तंग आ चुकी है। जिसके चलते दुनिया के 27 देशों ने चीन के खिलाफ कड़ा कदम उठाने का फैसला किया है।

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इसी के चलते 27 देशों ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में जाने का फैसला किया है। UNSC में अमेरिका, ब्रिटेन की अपील पर इस मुद्दे पर अनौपचारिक चर्चा की भी गई है। इसके अलावा अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर चीन पहले से ही है।

हर कोई चीन को घेरने की तैयारी में

ऑस्ट्रेलिया से लेकर जापान, अमेरिका और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश (आसियान देश) हर कोई चीन को घेरने की तैयारी में है। इसके अलावा यूरोप के कई देशों की बौखलाहट भी चीन के खिलाफ साफ-साफ दिख रही है। ऑस्ट्रेलिया ने कहा है कि इंडो-पैसिफ़िक क्षेत्र में अमरीका और चीन में बढ़ते तनाव के बीच वो अपने सैन्य खर्चों का बजट बढ़ाएंगे। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि वो अगले 10 साल में सेना का बजट 270 अरब ऑस्ट्रेलियन डॉलर करेंगे। ये 40 फ़ीसदी की बढोत्तरी है।

चीन ने हांगकांग के लिए नया पास किया

चीन ने हांगकांग के लिए नया राष्ट्रीय सुरक्षा कानून पास किया है। इससे हांगकांग के लोगों के सारे स्पेशल अधिकार खत्म हो जाएंगे। इस कानून का मतलब ये भी होगा कि हांगकांग में ना तो चीन का कोई विरोध कर सकेगा ना ही उसके खिलाफ कोई प्रदर्शन कर सकेगा। अमेरिका और ब्रिटेन ने इस कानून का कड़ा विरोध किया है।

जापान ने भी दी चीन को कड़ी चेतावनी

इतना ही नहीं जापान और चीन के बीच सेनकाकू द्वीप को लेकर भी तनातनी का माहौल है। चीन इस द्वीप पर अपना दावा ठोक रहा है। इस बीच भारत और जापान के बीच दोस्ती और मजबूत हो गई है। पिछले महीने भारत और जापान ने समुद्र में युद्धाभ्यास किया है। इसमें कई युद्धपोत शामिल थे। इसके अलावा इसमें दोनों देशों से दो-दो लड़ाकू जहाजों ने हिस्सा लिया।

चीन के खिलाफ ASEAN देश

ASEAN यानी दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के नेताओं ने दक्षिण चीन सागर को लेकर चीन के खिलाफ सख्‍त टिप्‍पणी की है। सदस्‍य देशों के नेताओं ने कहा कि 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि के आधार पर दक्षिण चीन सागर में संप्रभुता का निर्धारण किया जाना चाहिए। चीन ने हाल के सालों में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस समुद्री क्षेत्र पर दावे को लेकर आक्रमक रुख अपनाया है। उसके द्वारा जिन इलाकों पर दावा किया जा रहा है, उससे आसियान सदस्य देशों वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन और ब्रुनेई के क्षेत्र में अतिक्रमण होता है। ताइवान ने भी विवादित क्षेत्र के बड़ हिस्से पर दावा किया है।