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चीन के शोधकर्ताओं को मिला कोरोना का सबसे खतरनाक रूप, ये और भी ज्यादा खतरनाक

हाल ही में इसको लेकर चीन की झेजियांग यूनिवर्सिटी ने शोधकर्ता प्रो. लांजुआन ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोनावायरस का सबसे खतरनाक स्ट्रेन खोजा निकाला है।

बीजिंग। कोरोना का कहर झेल चुके चीन में अब थोड़ी राहत नजर आ रही है, इसलिए अब वहां इस वायरस पर रिसर्च का काम भी शुरू कर दिया गया है। हाल ही में इसको लेकर चीन की झेजियांग यूनिवर्सिटी ने शोधकर्ता प्रो. लांजुआन ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोनावायरस का सबसे खतरनाक स्ट्रेन खोजा निकाला है। इस रिसर्च के बारे में उनका कहना है कि कोरोनावायरस के अंदर खुद को बेहद तेजी से बदलने (म्यूटेट) की क्षमता है, अब तक इसकी इस खासियत को कमतर आंका गया है। चीन में 11 मरीजों पर हुई स्टडी में इस वायरस का सबसे खतरनाक रूपमिला है। प्रो. लांजुआन चीन के जाने माने वैज्ञानिक हैं। वे पहले वैज्ञानिक हैं जिन्होंने बताया था वुहान से दुनियाभर में महामारी फैल सकती है और यहां लॉकडाउन करना सबसे जरूरी है।

coronavirus

रिसर्च में सामने आई 4 बड़ी बातें

चीन के मरीजों मेंमिला खतरनाक स्ट्रेन: प्रो. लांजुआन के मुताबिक, लैब में जो कोरोनावायरस के रूप देखे गए,वे अब तक खोजे गए इसके दूसरे स्ट्रेन से खतरनाक हैं। कोरोनावायरस खुद को तेजी से बदलता है और संक्रमण का तरीका भी। शोधकर्ताओं को इस बात की जानकारी तब मिली जब वे चीन के हॉन्गझाउ प्रांत कोरोना से संक्रमित मरीजों पर शोध कर रहे थे।

नया स्ट्रेन यूरोप में मिले कोरोना जैसा : शोधकर्ताओं ने मरीजों के शरीर से कोशिकाएं लीं और उस पर वायरस के नए स्ट्रेन का असर देखा। उन्होंने पाया कि वायरस का यह स्ट्रेन संक्रमण के अलावा मौत की वजह भी बन सकता है। शोध में शामिल 11 मरीजों में वायरस का जो स्ट्रेन मिला है यह यूरोप में मिले कोरोना के स्ट्रेन जैसा ही है। एक और स्ट्रेन मिला है जो कम खतरनाक है। यह अमेरिका के कोरोना के सबसे कम संक्रमित क्षेत्र में पाया जाने वाले स्ट्रेन जैसा है।

Coronavirus outbreak in China

वैक्सीन और स्ट्रेन दोनों को समझना जरूरी : रिसर्च टीम का कहना है कि जितना जरूरी है वैक्सीन तैयार करना उतना ही अहम है उसके बदलते रूपों के कारण पड़ने वाले असर को समझना। दुनियाभर में इस वायरस का सबसे बुरा असर अमेरिका, ब्रिटेन, इटली और स्पेन में हुआ है। जर्मनी और न्यूजीलैंड उन देशों में शामिल हैं जहां संक्रमण के मामले कम मिले। वहीं स्वीडन में संक्रमण और मौत दोनों के ही मामले कम रहे हैं।

कोरोना के 30 अलग-अलग रूप विकसित हुए :प्रो लांजुआन और उनकी टीम के मुताबिक, कोरोनावायरस ने अपने 30 रूप विकसित किए हैं। इसकी दवा न विकसित हो पाने की एक वजह यह भी कि शोधकर्ताओंने इसके रूप (म्यूटेट) बदलने की क्षमता को नजरअंदाज किया है। रिसर्च के दौरान इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया गया।

Coronavirus china

भारत में कोरोनावायरस सिंगल म्यूटेशन में
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च के विशेषज्ञ डॉ. सीएच मोहन राव के मुताबिक, भारत में कोरोनावायरस सिंगल म्यूटेशन में है। इसका मतलब है कोरोनावायरस अपना रूप नहीं बदल पा रहा है। अगर ये सिंगल म्यूटेशन में रहेगा तो जल्दी खत्म होने की संभावना है।अगर वायरस का म्यूटेशन बदलता है तो खतरा बढ़ेगा और वैक्सीन खोजने में भी परेशानी होगी।

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शाेधकर्ताओं ने खोजे कोरोना के तीन स्ट्रेन

चीन से पहले कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस के ऐसे 3 स्ट्रेन्सका पता लगाया जिसने पूरी दुनिया में संक्रमण फैलाया। इन्हें टाइप-ए, बी और सी नामदिया गया है। शोधकर्ताओं ने संक्रमित हुए इंसानों में से वायरस के 160 जीनोम सीक्वेंस की स्टडी की। ये सीक्वेंस अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में फैले कोरोनावायरससे काफी हद तक मिलते-जुलते थे, न कि वुहान से। ये वायरस के वो स्ट्रेन थे जो चमगादड़ से फैले कोरोनावायरस से मिलते थे।रिसर्च टीम ने 24 दिसम्बर 2019 से 4 मार्च 2020 के बीच दुनियाभर से सैम्पल लेकर डाटा तैयार किया। नए कोरोनावायरस के तीन ऐसे प्रकार मिले जो एक-दूसरेजैसे होने के बावजूद अलग थे।

टाइप-ए:यह कोरोनावायरस का वास्तविक जीनोम था, जो वुहान में मौजूद वायरस में है। इसका म्यूटेशन हुआ और उनमें पहुंचा जो अमेरिकन वुहान में रह रहे थे।यहां से लौटने वाले अमेरिकी और ऑस्ट्रेलिया के लोगों में यही वायरस उनके देशों में पहुंचकर फैला।

टाइप-बी :पूर्वी एशियाई देशों में कोरोनायरस का यह स्ट्रेन सबसे फैला। हालांकि, यह स्ट्रेन एशिया से निकलकर दूसरे देशों में अधिक नहीं पहुंचा।

टाइप-सी:यह स्ट्रेन खासतौर पर यूरोपीय देशों पाया गया। इसके शुरुआती मरीज फ्रांस, इटली, स्वीडन और इंग्लैंड में मिले थे। रिसर्च के मुताबिक, इटली में यहवायरस जर्मनी से पहुंचा और जर्मनी में इसका संक्रमण सिंगापुर के लोगों के जरिए हुआ।

गौरतलब है कि अमेरिका में इस वक्त कोरोना का खौफ सबसे ज्यादा फैला हुआ है। वहीं दुनिया की अर्थव्यवस्था इस महामारी के चलते चौपट हो चुकी है। ऐसे समय में हर देश ये पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि आखिर इस महामारी का इलाज क्या है।