newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

BBC Documentary: JNU की राह पर चला जामिया, बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर किया ये ऐलान, कहा- शाम 6 बजे…!

इस बीच देश के शीर्ष विश्वविद्यालय में से एक जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी ने भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान कर दिया है। बता दें कि आज शाम 6 बजे डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान किया गया है, जिसमें कई छात्रों द्वारा देखने जाने का ऐलान किया जा चुका है।

नई दिल्ली। बीबीसी द्वारा गुजरात दंगों पर आधारित बनाई गई डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को लेकर जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद भी लिबरल गैंग की तरफ से डॉक्यूमेंट्री की पैरवी की जा रही है। इस डॉक्यूमेंट्री में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की गलत छवि पेश करने कोशिश की गई है, जबकि सुप्रीम कोर्ट पीएम मोदी को क्लीचिट दे चुकी है, लेकिन इसके बावजूद भी बीबीसी ने इस पर डॉक्यूमेंट्री बनाकर भारतीय प्रधानमंत्री की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है, जिस पर ना महज भारत की तरफ से कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई, बल्कि ब्रिटिश सांसद ने भी बीबीसी द्वारा बनाई गई डॉक्यूमेंट्री की आलोचना की है। वहीं ब्रिटेन में प्रवासी भारतीयों की तरफ से भी लगातार बीबीसी का विरोध किया जा रहा है।

इसके अलावा भारत द्वारा उक्त डॉक्यूमेंट्री को प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद भी वामपंथी गिरोह इसकी पैरोकारी करने में जुटा है। तमाम प्रतिबंधों के बावजूद भी इस डॉक्यूमेंट्री को देखने के लिए लोग किस कदर उतारू हैं, इस बात का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि बीते बुधवार को जेएनयू प्रशासन की मनाही के बावजूद भी वामपंथी छात्रों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का फरमान जारी कर दिया, जिसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बिजली व्यवस्था बाधित कर दी, लेकिन इसके बाद भी छात्र लेपटॉप पर डॉक्यूमेंट्री देखते दिखे। वहीं, जेएनयू के बाद अब देश के कई विश्वविद्यालय सामने आकर डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान कर चुके हैं।

इस बीच देश के शीर्ष विश्वविद्यालय में से एक जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी ने भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान कर दिया है। बता दें कि आज शाम 6 बजे डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान किया गया है। इसके अलावा कोलकाता और हैदराबाद के भी कई विश्वविद्यालय ने अपने कैंपस में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग का ऐलान कर दिया है, जिसके बाद अब पूरे देश में इसे लेकर बवाल मचा हुआ है। बता दें कि सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद भी देश का एक तबका इस डॉक्यूमेंट्री को देखने पर उतारू है।

वहीं, इसे लेकर राजनीति भी देखने को मिल रही है। कहा जा रहा है कि क्या देखना है और क्या नहीं, यह फैसला सरकार नहीं ले सकती है। यह हमारी अपनी निजी अभिव्यक्ति की आजादी के अंतर्गत आता है। उधर, दक्षिणपंथी तबके के नेताओं ने डॉक्यूमेंट्री को देखने पर उतारू हो चुके लोगों को औपनिवेशिक मानसिकता का शिकार बताया है। डॉक्यूमेंट्री को लेकर दो तरहों का गुट उदय हो चुके हैं। एक ऐसा गुट है, जो इस डॉक्यूमेंट्री का विरोध कर रहा है और एक ऐसा गुट है, जो इसकी वकालत कर रहा है। अब ऐसे में इस पूरे मसले को लेकर जारी विवाद आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।