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Gujarat Election: BJP सांसद ने ट्वीट कर बताया, जब बेटी के लिए मांगा टिकट, तो पार्टी ने दिया ये जवाब

वहीं कांग्रेस बीजेपी की विफलताओं को हवा देने में जुटी है। उधर, आम आदमी पार्टी भी अपने लिए सूबे में सियासी जमीन तैयार कर रही है। अब ऐसी स्थिति में सूबे के सियासी दंगल में कौन किसे मात देने में सफल रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले गुजरात से एक बड़ी खबर सामने आई है। आइए, आपको इसके बारे में बताते हैं।

नई दिल्ली। गुजरात में चुनावी बिगुल बज चुका है। बीते गुरुवार को चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान किया था। बीजेपी सहित अन्य दल जीत दर्ज करने के ध्येय के साथ एक्शन मोड में आ चुके हैं। मुख्तलिफ दलों द्वारा जनता जनार्दन को रिझाने की कोशिश जारी है। सभी दलों के पास अपने-अपने मुद्दे हैं। बीजेपी जहां अपने कार्यकाल के दौरान हुए विकास कार्यों का जिक्र कर जनता जनार्दन को रिझाने की जुगत में जुटी है, तो वहीं कांग्रेस बीजेपी की विफलताओं को हवा देने में जुटी है। उधर, आम आदमी पार्टी भी अपने लिए सूबे में सियासी जमीन तैयार कर रही है। अब ऐसी स्थिति में सूबे के सियासी दंगल में कौन किसे मात देने में सफल रहता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, लेकिन उससे पहले गुजरात से एक बड़ी खबर सामने आई है। आइए, आपको इसके बारे में बताते हैं।

जानिए पूरा माजरा

दरअसल, गुजरात के भरूच से बीजेपी सांसद मनसुख वासवा ने बताया कि कैसे जब उन्होंने पार्टी से अपनी बेटी के लिए टिकट की मांग की तो उन्हें मना कर दिया गया। वजह बताई कि किसी भी सीटिंग सांसद के परिवार के सदस्यों को टिकट नहीं दिया जाएगा। अगर ऐसा करेंगे तो भारतीय राजनीति में परिवारवाद को बढ़ावा मिलेगा, जो कि बिल्कुल भी उचित नहीं है। बता दें कि बीजेपी सांसद ने इस संदर्भ में तीन ट्वीट भी किए हैं, जिसमें उन्होंने विस्तार से पूरे प्रकरण के बारे में बताया है। आइए, बीजेपी सांसद द्वारा किए गए ट्वीट के बारे में बताते हैं।

बता दें कि उन्होंने अपने पहले ट्वीट में कहा कि, ‘गुजरात प्रदेश संसदीय बोर्ड द्वारा गुजरात विधानसभा के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया गांधीनगर में चल रही है। मैंने और मेरी बेटी प्रीतिबेन वसावा ने भी उम्मीदवारी की मांग की थी लेकिन मौजूदा सांसद-विधायक के परिवार को टिकट नहीं देना पार्टी का फैसला है।

इसके अलावा उन्होंने अपने दूसरे ट्वीट में कहा कि, ‘हम निर्णय को सर्वोच्च प्राथमिकता मानेंगे और पार्टी के आदेश के अनुसार काम करेंगे। नन्दोद विधानसभा और देद्यापाड़ा विधानसभा के उम्मीदवारों के लिए पैनल के नाम संसदीय बोर्ड के पास गए हैं।

इसके अलावा उन्होंने अपने तीसरे ट्वीट में कहा कि, ‘पार्टी जो भी नाम तय करेगी हम जीतेंगे और अन्य सभी नेताओं को भी पार्टी के उम्मीदवार और भाजपा को जीतने के लिए काम करना चाहिए। धन्यवाद

परिवारवाद को लेकर जारी रहती है बहस

ध्यान रहे कि चुनाव चाहे लोकसभा का हो या विधानसभा का। परिवारवाद को लेकर बहस हमेशा ही जारी रहती है और यह बहस कई मर्तबा इतनी हावी हो जाती है कि राजनीति की दिशा व दिशा ही बदल जाती है। अमूमन, बीजेपी कांग्रेस पर परिवारवाद को लेकर हमेशी ही चर्चा में रहता है। लेकिन कई बार कांग्रेस भी बीजेपी को परिवारवाद के मुद्दे को लेकर निशाने पर लेती है।