newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

UP: CM योगी आदित्यनाथ ने किया विधान भवन स्थित ‘विधायी डिजिटल वीथिका’ का लोकार्पण

Uttar Pradesh: विधान भवन स्थित ‘विधायी डिजिटल वीथिका’ के लोकार्पण के अवसर के बाद सीएम योगी ने कहा, विधान मंडल के पूरे इतिहास पर हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में इस डिजिटल गलैरी के माध्यम से उत्तर प्रदेश विधान मंडल के पूरे इतिहास के बारे में 1887 से लेकर अबतक कब कौन सी महत्वपूर्ण घटना घटी।

लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को विधान भवन में विधायी डिजिटल वीथिका का लोकार्पण किया। इस दौरान मुख्यमंत्री ने वीथिका में लगी डिजिटल स्क्रीन का अवलोकन किया, फिर लघु फ़िल्म के माध्यम से यूपी के विधायी इतिहास की भी जानकारी ली। कार्यक्रम के दौरान विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना, उप -मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, वित्त व संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना, समाजवादी पार्टी के मनोज पांडेय, बसपा के उमाशंकर सिंह, जनसत्ता दल के रघुराज प्रताप सिंह ‘राजा भैया’, निषाद पार्टी के अनिल त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।

विधान भवन स्थित ‘विधायी डिजिटल वीथिका’ के लोकार्पण के अवसर के बाद सीएम योगी ने कहा, विधान मंडल के पूरे इतिहास पर हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में इस डिजिटल गलैरी के माध्यम से उत्तर प्रदेश विधान मंडल के पूरे इतिहास के बारे में 1887 से लेकर अबतक कब कौन सी महत्वपूर्ण घटना घटी। अनेक उतार-चढ़ाव देखकर आज देश के सबसे बड़े राज्य के सबसे बड़े विधान मंडल के रूप में जो गौरव प्राप्त हुआ है। वो इस डिजिटल गैलरी के माध्यम से लखनऊ आने वाले सभी अतिथियों के लिए हमारी वर्तमान पीढ़ी के लिए, छात्रों के लिए एक नई प्रेरणा दी है।

राजा रामपाल सिंह ने पूछा था पहला प्रश्न

लघु फ़िल्म के माध्यम से बताया गया कि 8 जनवरी 1887 में काउंसिल की पहली बैठक गवर्नर की अध्यक्षता में इलाहाबाद में हुई। 1892 में कॉउन्सिल के अधिकारों में वृद्धि की गई तथा विधायी कार्यों के अतिरिक्त सदस्यों को प्रश्न पूछने का अधिकार प्राप्त हुआ। यूपी के विधायी इतिहास में 6 दिसंबर 1893 को राजा रामपाल सिंह द्वारा पहला प्रश्न पूछा गया।

काउंसिल सदस्यों की संख्या 9 से बढ़ाकर 15 की गई। 1909 में इंडियन काउंसिल एक्ट में संशोधन करके सदस्यों की संख्या 50 की गई। इनका कार्यकाल 3 वर्ष कर दिया गया। सदस्यों के लिए अप्रत्यक्ष निर्वाचन का प्रावधान किया गया। उन्हें पूरक प्रश्न पूछने का अधिकार भी प्रदत्त किया गया। इसके अलावा मुख्यमंत्री के समक्ष अन्य जानकारी भी रखी गई।