नई दिल्ली। महामारी कोरोनावायरस हर गुजरते दिन के साथ पहले से ज्यादा खतरनाक रूप धारण करती जा रही है। भारत में कोरोना के मरीजों का आंकड़ा 52, 952 है। वहीं अबतक इस वायरस की वजह से 1783 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा 15,267 लोग अबतक ठीक हो चुके हैं।
लेकिन एक रिपोर्ट के मुताबिक आपको कोरोना के बढ़ते मीटर को देखकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। आने वाले समय में कोरोना सामान्य फ्लू की तरह ही हो जाएगा। देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामलों से यह तथ्य सामने आया है। कोरोना वायरस अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक को ही प्रभावित कर रहा है। यही वजह है कि जहां अधिकतर मरीज एसिम्प्टोमैटिक हैं, वहीं दूसरे देशों की तरह यह घातक भी साबित नहीं हो रहा है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेडीशनल मेडिसिन के निदेशक एवं जाने-माने वायरोलॉजिस्ट डॉ देव प्रसाद चट्टोपाध्याय कहते हैं कि बढ़ती कोरोना टेस्टिंग के साथ मरीजों की संख्या में वृद्धि के आंकड़ों को देखकर घबराने की जरूरत नहीं है। वह कहते हैं कि अपने शिखर पर पहुंचकर मई के आखिरी सप्ताह अथवा जून के प्रथम सप्ताह तक कोरोना का मौजूदा संक्रमण काल काफी हद तक सिमट जाएगा। उनके मुताबिक, देश के विभिन्न राज्यों के आंकड़ों से यह बात सामने आई है कि 80 से 85 फीसद कोरोना संक्रमित मरीजों में यह वायरस शरीर पर हमला करने के बाद श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्सों में ही रह जाता है।
नाक, मुंह और गले में म्यूकस बनाने वाली मोनोलेयर और बाइलेयर कोशिकाओं के साथ अन्य कोशिकाओं की भी संख्या कम होने की वजह से यह वायरस वहां मल्टिप्लाई नहीं कर पा रहा है। इसके चलते न तो मरीज में सामान्य तौर पर कोई गंभीर लक्षण मिल रहे हैं, वही ज्यादातर मरीजों में बुखार तक आने के लक्षण नहीं हैं। ऐसे मरीजों को गैर लक्षण रोगी यानी एसिम्प्टोमेटिक कहा जाता है। हालांकि, 10 से 15 फीसद मरीजों में गंभीर लक्षण पाए गए हैं परंतु मृत्यु के अनेक मामलों में देखा गया है कि कोरोना संक्रमण के साथ ऐसे मरीजों में पूर्व के गंभीर रोग अथवा कमजोर इम्यूनिटी से जुड़ी परिस्थितियां इसके लिए जिम्मेदार हो सकती।