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खुशखबरीः भारत की इस कंपनी ने किया कोरोना का टीका बनाने का ऐलान!

दुनिया भर की तमाम बड़ी फार्मा कंपनियां वैश्विक महामारी कोरोनावायरस का इलाज ढूंढने की कोशिश में लगी हुई हैं। इसके लिए बड़े-बड़े वैज्ञानिक लैबोरेट्री के अंदर दिन-रात वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

नई दिल्ली। दुनिया भर की तमाम बड़ी फार्मा कंपनियां वैश्विक महामारी कोरोनावायरस का इलाज ढूंढने की कोशिश में लगी हुई हैं। इसके लिए बड़े-बड़े वैज्ञानिक लैबोरेट्री के अंदर दिन-रात वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रहे हैं। आज दुनिया के आगे जो महासंकट खड़ा हुआ है वह सिर्फ वैक्सीन के एक सफल प्रयोग के बाद खत्म हो सकता है। लेकिन इसके लिए अभी तक सिर्फ प्रयास ही किए जा रहे हैं, पूर्ण रूप से किसी वैक्सीन के सफल होने की अब तक खबर नहीं है। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट के बाद अब हेस्टर बायोसाइंसेज ने भी कोरोना का टीका बनाने का ऐलान किया है। कंपनी के इस ऐलान के बाद बुधवार को उसके शेयर 20 फीसदी उछल गए।

अहमदाबाद की दवा कंपनी हेस्टर बायोसाइंसेज ने बुधवार को कहा कि वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान गुवाहाटी (IITG) के साथ मिलकर COVID-19 का टीका विकसित करेगी। गौरतलब है कि इसके पहले पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ने दावा किया था कि वह सितंबर-अक्टूबर तक कोरोना का टीका लेकर आएगी जिसकी कीमत करीब 1000 रुपये होगी। हेस्टर ने ऐलान किया कि उसने आईआईटी के साथ 15 अप्रैल 2020 को ही एक समझौता किया है। कंपनी ने कहा है कि यह टीका पुनः संयोजक एवियन पैरामाइक्सोवायरस वेक्टर प्लेटफॉर्म पर आधारित होगा।

क्या कहा कंपनी ने

न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक हेस्टर बायोसाइंसेस के सीईओ और एमडी आर गांधी ने कहा, “आईआईटी गुवाहाटी और हेस्टर दोनों मिलकर कोविड​​-19 को खत्म करने के लिए एक वैक्सीन को विकसित करने और इसे बनाने में एक दूसरे को सहयोग करेंगे। हेस्टर की भागीदारी मास्टर सीड के विकास से लेकर कॉमर्शियल रूप में वैक्सीन जारी करने तक होगी।

उछल गए शेयर

इस ऐलान के बाद बुधवार को शेयर बाजार में हेस्टर बायोसाइंसेज के शेयरों में जबरदस्त उछाल आया और इसमें 20 फीसदी का अपर सर्किट लगाना पड़ा। बीएसई पर इसके शेयरों का कारोबार 1,366 रुपये पर बंद हुआ. अहमदाबाद की इस दवा कंपनी के शेयर एक महीने में करीब 35 फीसदी चढ़ चुके हैं।

किस तरह का होगा टीका

बयान के मुताबिक रीकॉम्बिनेंट एवियन पैरामिक्सोवायरस-1 का उपयोग ‘सार्स-कोव-2 के एक इम्यूनॉजिक (शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को जगाने वाले) प्रोटीन के तौर पर किया जाएगा। बाद में इसका उपयोग आगे के अध्ययन के लिए किया जा सकता है।

इस टीके की क्षमता के बारे में आईआईटी गुवाहाटी के जैवशास्त्र और जैवप्रौद्योगिकी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर सचिन कुमार ने कहा कि इस पर कोई टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। वह रिसर्च टीम के प्रमुख होंगे।

यह कंपनी भी बना रही टीका

गौरतलब है कि इसके पहले भारत में कोरोना का टीका तैयार करने में लगे पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अडर पूनावाला ने कहा था कि यदि ट्रायल सफल रहा तो यह टीका इसी साल सितंबर या अक्टूबर तक आ सकता है और 1000 रुपये में मिल सकता है।

Oxford University Corona Vaccine

पूनावाला ने कहा कि वह जोखिम लेते हुए कोरोना के टीके के एडवांस परीक्षण से पहले ही इसके उत्पादन की कोशिश करेंगे और यह तैयार हो गया तो इसकी कीमत प्रति टीका 1,000 रुपये की होगी। गौरतलब है कि अमेरिका जैसे तमाम बड़े देश जहां पर टेक्निकल एडवांसमेंट सबसे अधिक है वह भी आज भारत के भरोसे हैं, क्योंकि भारत की फार्मासिटिकल कंपनियां लगातार वैक्सीन बनाने का प्रयास कर रही है। और इस बात को WHO भी कह चुका है कि भारत की कंपनियों के पास वह एक्सपर्टीज हैं, जो कोविड-19 की वैक्सीन बनाने में मदद कर सकती हैं।