नई दिल्ली। भारत का चंद्रयान-3 अपने लक्ष्य के करीब है। आज शाम चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतारने का इसरो ने फैसला किया है। अगर कुछ तकनीकी या और कुछ गड़बड़ी होती है, तो फिर विक्रम लैंडर को 27 अगस्त को चांद पर उतारा जाएगा। विक्रम लैंडर अगर चांद पर सकुशल उतर गया, तो ये भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए मील का पत्थर तो होगा ही, साथ ही वो चांद पर यान उतारने वाला दुनिया का चौथा देश हो जाएगा। अब तक सिर्फ अमेरिका, सोवियत संघ यानी मौजूदा रूस और चीन ही चांद पर यान उतार चुके हैं। इनमें से सिर्फ अमेरिका ने ही चांद पर इंसान भी भेजा था।
चांद पर सबसे पहला यान तत्कालीन सोवियत संघ (रूस) ने भेजा था। सोवियत संघ ने 12 सितंबर 1959 को लूना-2 मिशन के साथ चांद पर यान उतारा था। इसके बाद 4 अक्टूबर 1959 को सोवियत संघ ने लूना-3 के जरिए चांद के दूसरे हिस्से की पहली बार फोटो ली थी। ये हिस्सा धरती से उलटी तरफ रहता है और वहां हमेशा अंधेरा होता है। वहां की तस्वीरें सबसे पहले सोवियत संघ के यान के कैमरों ने कैद की थी। इसके बाद अमेरिका भी चांद पर यान उतारने की होड़ में शामिल हुआ। अमेरिका ने अब तक सभी को अपने चांद अभियान से पछाड़ा हुआ है। वजह ये है कि वही अकेला देश है, जिसने इंसान को चांद पर उतारा है।
अमेरिका ने चांद पर कई यान भेजे। 50 साल पहले अमेरिका ने नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन को अपोलो-11 मिशन के जरिए चांद पर उतारा था। ये ऐतिहासिक घटना 20 जुलाई 1969 को हुई थी। बाद में 19 नवंबर 1969 को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इंटररैपिड नाम के लैंडर के जरिए चार्ल्स पीट कॉनराड और एलेन बीन को चांद पर उतारा था। अपोलो-11 और अपोलो-12 के बाद अमेरिका ने अपोलो-15 के जरिए 30 जुलाई 1971 को डेविड स्कॉट और जेम्स इरविन को चांद पर भेजा था। दोनों ने वहां कार जैसा रोवर भी चलाया था। वहीं, चीन ने 7 दिसंबर 2018 को चांद पर यान भेजा था। चीन का यान 3 जनवरी 2019 को चांद की सतह पर उतरा था और वहां से धूल और चट्टान के टुकड़े लेकर धरती पर लौटा था।