newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दी जानकारी, निजी क्षेत्रों के लिए खोल दिए गए सभी सेक्टर

निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले चार दिनों में आत्मनिर्भर भारत के लिए लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ पर आज का फोकस किया गया है।

नई दिल्ली। कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज की पांचवी किस्त का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ऐलान कर रही हैं। निर्मला सीतारमण ने कहा कि आज 7 ऐसे कदमों की घोषणा की जाएगी। मनरेगा, स्वास्थ्य, कोविड में बिजनस,कंपनी ऐक्ट को गैर आपराधिक बनाना, ईज ऑफ डूइंग बिजनस, पब्लिक एंटरप्राइजेज, राज्य सरकार और उनके संसाधनों से जुड़े ऐलान किए जाएंगे।

निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले चार दिनों में आत्मनिर्भर भारत के लिए लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉ पर आज का फोकस किया गया है।  उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस दौर में शुरुआत हमने गरीब कल्याण योजना के साथ की थी। गरीबों को मुफ्त राशन देने की व्यवस्था की गई। पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत खाते में कैश डाले गए।

डीबीटी टेक्नॉलजी से पीएम किसान में योजना के तहत 8.19 किसानों को मदद दी गई है। वुद्ध और अन्य लोगों को पेंशन दिया गया। जनधन खाता धारक 20 करोड़ महिलाओं के खाते में 10025 करोड़ रुपए डाले गए। निर्माण कार्य से जुड़े मजदूरों को 3900 करोड़ रुपए से अधिक की मदद दी गई। 2.20 करोड़ लोगों को इसका फायदा हुआ। सभी के खाते में पैसे गए। यह डीबीटी की वजह से संभव है। 6.81 करोड़ सिलेंडर लाभार्थियों को मुफ्त में दिए गए हैं। 12 लाख से अधिक ईपीएफओ खाताधारकों ने पैसे निकाले हैं।

Nirmala Sitharaman and Anurag Thakur

पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज के तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पिछले चार दिनों से आर्थिक पैकेज की बारीकियों को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर समझा रही हैं और बड़े सुधारों की घोषणाएं कर रही हैं। इससे पहले वित्त मंत्री ने शनिवार को चौथी किस्त की घोषणा की। इसमें कोयला, रक्षा विनिर्माण, विमानन, अंतरिक्ष, बिजली वितरण आदि क्षेत्रों में नीतिगत सुधारों पर जोर रहा।

लाइव यहां देखें…

मुख्य बातें…

मजदूरों को ट्रेनों से ले जाने का 85 प्रतिशत खर्च केंद्र सरकार ने वहन किया है। 15 फीसदी खर्च राज्य सरकारों ने किया है। ट्रेनों में उन्हें खाना भी उपलब्ध कराया गया। कोविड-19 के बाद के दौर के लिए उन्हें हर तरह की मदद देनी है। कोरोना के बाद व्यापार को लेकर तनावग्रस्त स्थिति होगी। इसलिए हमने कई ऐलान किए हैं।


गांव जा रहे प्रवासी मजदूरों को काम मिल सके। ग्रामीण क्षेत्रों में काम की कमी ना आए और आमदनी का साधन मिले इसके लिए 40 हजार करोड़ रुपए का अधिक आवंटन किया जा रहा है। इससे 300 करोड़ व्यक्ति कार्यदिवस उत्पन्न होंगे।


कोरोना को रोकने के लिए 15 हजार करोड़ रुपए का ऐलान किया गया था। इसमें 4113 करोड़ रुपए राज्यों को दिए गए। 3750 करोड़ रुपए जरूरी वस्तुओं पर खर्च किए गए। टेस्टिंग किट्स और लैब के लिए 550 करोड़ रुपए दिए गए। कोरोना वॉरियर्स, स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख रुपए का इंश्योरेंस दिया गया। टेलीकम्युनिकेशन के परामर्श की शुरुआत की गई। आरोग्य सेतु को करोड़ों लोगों ने यूज किया। यूपीआई भीम की तरह यह भी देश में बेहद सफल रहा है। हेल्थ वर्कर्स को सुरक्षा देने के लिए कानून में बदलाव किया गया। भारत में एक भी पीपीई कंपनी नहीं थी आज 300 से ज्यादा यूनिट है। लाखों एन95 मास्क बनाए जा रहे हैं। 11 करोड़ एचसीक्यू टैबलेट का उत्पादन किया गया है।


कोरोना वायरस संकट के दौरान कंपनीज एक्ट 2013 के प्रावधानों के अनुपालन के लिए बोझ घटाया गया। बोर्ड मीटिंग, ईजीएएम, एजीएम आदि वर्जुअल करने की इजाजात दी गई। राइट्स इश्यू की ऑनलाइन किया जा सकता है। पीएम केयर्स के फंड को सीएसआर के लिए मान्यता दी है। 2016 के बाद आईबीसी के जरिए दोगुनी रिकवरी हुई है। 1.84 लाख करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है।


वित्त मंत्री ने कहा कि गरीब के बच्चों तक इस समय कैसे शिक्षा पहुंचाई जाए। इसके लिए एचआरडी मंत्रालय ने अच्छा काम किया। स्वंय प्रभा डीटीएच के जरिए बच्चों को पहले से शिक्षा दी जा रही थी। इसमें 12 और चैनल जोड़े जाएंगे।


लाइव सेशन के टेलिकास्ट के लिए भी इसका प्रवाधन स्काईप के जरिए किया जाएगा। ग्रामीण इलाकों में भी बच्चों ने इसका फायदा उठाया। टाटा स्काई और एयरटेल टीवी से भी समझौता किया गया था। राज्यों से हर दिन 4 घंटे की सामग्री मांगी गई है।


जनस्वास्थ्य क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाएगा। इसके लिए रिफॉर्म्स किए जाएंगे। ग्रामीण स्तर पर ऐसी सुविधाएं देने की आवश्यकता है जो महामारी की स्थिति में लड़ने की क्षमता हो। इसके लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश बढ़ाया जाएगा। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में वेलनेस सेंटरों को बढ़ावा दिया जाए। सभी जिला स्तर के अस्पतालों में संक्रामक रोगों से लड़ने की व्यवस्था की जाएगी। लैब नेटवर्क मजबूत किए जाएंगे। सभी जिलों में प्रखंडस्तर पर एकीकृत लैब बनाए जाएंगे।

FM Nirmala Sitharaman

मल्टीमोड एक्सेस डिजिटल/ऑनलाइन के जरिए पढ़ाई के लिए पीएम ई विद्या योजना की शुरुआत की जाएगी। दीक्षा- स्कूल एजुकेशन के लिए ई-कॉन्टेंट और क्वी आर कोड से जुड़े किताब उपलब्ध कराए जाएंगे। इसका नाम होगा वन नेशन वन डिजिटल प्लैटफॉर्म होगा। हर क्लास के बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग टीवी चैनल होगा, वन क्लास वन चैनल योजना के जरिए। रेडियो, कम्युनिटी रेडियो और पॉडकास्ट का इस्तेमाल बढ़ाया जाएगा। द्वियांगों के लिए भी सामग्री तैयार की जाएगी ताकि वे भी ऑनलाइन पढ़ाई कर सकें। अधिकतर बच्चों का समय टीवी और स्मार्टफोन के सामने गुजर रहा है। गतिविधियां कम हो गई हैं। घर से बाहर निकलना कम हो गया है। उनके मेंटल हेल्थ और साइकलॉजी सपॉर्ट के लिए मनोदर्पण की शुरुआत की जाएगी।

Anurag Thakur & Nirmala Sitharaman

जिस तरह एमएसएमई की परिभाषा बदलकर उनके लिए विस्तार का रास्ता खोला। उन पर दिवालियापन की कार्रवाई ना हो इसके लिए न्यूनतम सीमा को एक लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ कर दिया गया है। इससे एमएसएमई सेक्टर को फायदा होगा। विशेष दिवालियापन रेज्यूलेशन फ्रेमवर्क को आईबीसी के 240 ए में जोड़ दिया जाएगा। एक साल तक दिवालियापन की कोई कार्रवाई शुरू नहीं होगी।

Anurag Thakur & Nirmala Sitharaman1

छोटे तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक को आपराधिक सूची से हटा दिया जाएगा। पहले इसे आपराधिक रूप में देखा जाता था। जैसे सीएसआर रिपोर्टिंग में कोई कमी रह गई या बोर्ड रिपोर्ट में छोटी मोटी कमी रह गई, फाइलिंग के समय डिफॉल्ट हो गया, एजीएम में देरी हो गई… इन सबको आपराधिकरण की सूची से हटा दिया गया है। इससे न्यायालयों पर भी दबाव कम होगा। 7 कंपाउडेबल ऑफेंस को खत्म कर दिया गया है। निजी कंपनियां अब विदेशों में शेयरों को सीधे सूचीबद्ध करा सकती हैं। यह भारतीय कंपनियों के लिए बड़ी घोषणा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सभी सेक्टर्स को निजी क्षेत्रों को खोला जाएगा। साथ ही सार्वजनिक उप्रकम भी बने रहेंगे। भारत और दुनिया में कुछ दशकों में बड़े बदलाव आए हैं। सार्वजनिक उपक्रमों को लेकर भी नई नीति की जरूरत है। जनहित, राष्ट्रहित और राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर स्ट्रैटिजिक सेक्टर की एक लिस्ट बनाई जाएगी। इससे बाहर जो कंपनियां रह जाएंगी उनके निजीकरण का मौका दिया जाएगा, विलय किया जाएगा। पीएसई के निजीकरण का सही समय पर देखकर फैसला किया जाएगा। रणनीतिक क्षेत्रों में कम से कम एक सरकारी उपक्रम बना रहेगा।