रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की मुश्किल कम होती नहीं दिख रही है। सीएम भूपेश बघेल और पार्टी के सीनियर नेता और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच यहां तलवारें खिंची हुई हैं। पिछले दिनों सिंहदेव ने कामकाज के तरीके और फंड जारी न करने का आरोप लगाकर पंचायती राज विभाग का अतिरिक्त कार्यभार भी छोड़ दिया। इससे पहले वो बघेल के एक करीबी विधायक पर आरोप लगाकर विधानसभा से वॉकआउट करने वाले पहले मंत्री भी बन चुके हैं। ऐसे में ताजा खबर ये है कि अगले साल छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस आलाकमान बघेल और सिंहदेव के बीच समझौता कराने की कोशिश में जुट गया है।
भूपेश बघेल शनिवार को ही दिल्ली पहुंच गए हैं। जबकि, टीएस सिंहदेव भी दिल्ली आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि दोनों ही नेताओं को कांग्रेस आलाकमान ने बुलाया है और एक साथ या अलग-अलग बिठाकर दोनों को मतभेद दूर करने की हिदायत दी जाने वाली है। हालांकि, सीएम भूपेश बघेल इस मामले में कुछ कहने से बचते रहे। दिल्ली रवाना होने से पहले रायपुर में उन्होंने मीडिया से कहा कि वरिष्ठ नेताओं से मिलना है। पार्टी ने मुझे हिमाचल प्रदेश चुनाव के लिए मुख्य ऑब्जर्वरर बनाया है। उसी वजह से दिल्ली में बैठक होने जा रही है।
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक टीएस सिंहदेव 18 जुलाई को भी दिल्ली आए थे। वो कांग्रेस आलाकमान से मिलना चाहते थे, लेकिन तब वक्त नहीं मिला था। सिंहदेव विधानसभा सत्र और विधायक दल की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे। सूत्रों का कहना है कि ऐसे में तमाम बघेल समर्थक विधायकों ने उनके खिलाफ अनुशासन की कार्रवाई करने की मांग की है। वहीं, विपक्षी बीजेपी ने इस मुद्दे को खूब उभारना शुरू कर दिया है। पार्टी के विधायकों ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में संवैधानिक संकट का नाम लेकर खूब हंगामा भी किया। चुनाव अगले साल है। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान हर हाल में बघेल और सिंहदेव के बीच उपजे विवाद को शांत कराना चाहता है। ताकि उसे पंजाब जैसा नुकसान न हो।