नई दिल्ली। राजस्थान में सियासी संकट जारी है, सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही दावा कर रहे हों कि उनके पास सरकार बचाने के लिए पर्याप्त विधायकों की संख्या है लेकिन दूसरी तरफ उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट भी सरकार को गिराने के लिए पर्याप्त संख्या होने का विश्वास दिखा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस की तरफ से इस उलझे मामले को हल करने की पूरी कोशिश हो रही है।
बता दें कि मंगलवार को पायलट ने कांग्रेस आलाकमान के सामने तीन मांगें रखी हैं और जिनमें से दो पर कांग्रेस राजी होती हुई भी दिख रही है। हालांकि पायलट की एक मांग पर अभी भी पेंच फंसा हुआ है। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, सचिन पायलट की ओर से मांग रखी गई है कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाए, अविनाश पांडे को राजस्थान के प्रभारी पद से तुरंत हटाया जाए और उनके साथियों को मंत्रिमंडल में अहम जगह मिलनी चाहिए।
पायलट की इन तीन मांगों में से दो मांगों को कांग्रेस मानने को तैयार है, लेकिन मुख्यमंत्री पद को लेकर अभी भी मंथन जारी है। इस बीच अब जो भी विधायक मंगलवार की कांग्रेस विधायक दल बैठक में शामिल नहीं हुए हैं, पार्टी उनको नोटिस भेजेगी।
आपको बता दें कि कांग्रेस की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि आलाकमान ने अभी तक कई बार सचिन पायलट से बात की है। कांग्रेस की ओर से सचिन पायलट को जयपुर में विधायक दल की बैठक में शामिल होने को कहा गया था। लेकिन सचिन पायलट और उनके समर्थक इसपर नहीं माने।
वहीं साथ ही सचिन पायलट गुट की ओर से दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान ने उनसे बात नहीं की है, ना ही उनकी बातें सुनी जा रही हैं। सचिन पायलट गुट ने करीब 22 विधायकों के समर्थन की बात की है। लगातार कई विधायक और मंत्री सोशल मीडिया पर अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं। इससे पहले भी सामने आया था कि सचिन पायलट की ओर से अपने समर्थकों के लिए गृह और वित्त मंत्रालय मांगा गया है।