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Kejriwal Govt Vs LG: अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग में दिल्ली के एलजी बॉस या केजरीवाल सरकार, आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट

14 फरवरी 2019 को अफसरों पर नियंत्रण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने अलग-अलग फैसला सुनाया था। ऐसे में मसला संविधान पीठ के सामने गया। अब केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले को 9 जजों की बेंच के पास भेजने की अर्जी दी है।

नई दिल्ली। अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) का आदेश चलेगा या केजरीवाल सरकार का, इस पर आज सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ अहम फैसला सुनाने जा रही है। 11 बजे के बाद ये फैसला आने की उम्मीद है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने इस साल 18 जनवरी को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था। बताया जा रहा है कि इस मामले में बेंच एकराय से फैसला सुनाने वाली है और चीफ जस्टिस के फैसले से बाकी जज एकमत हैं। इससे पहले जुलाई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों के विवाद पर फैसला दिया था। तब अफसरों पर नियंत्रण के मसले पर आगे फिर सुनवाई के लिए कहा था।

supreme court

14 फरवरी 2019 को अफसरों पर नियंत्रण के मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण ने अलग-अलग फैसला सुनाया था। ऐसे में मसला संविधान पीठ के सामने गया। दिल्ली सरकार ने कोर्ट में कहा है कि 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है कि जमीन और पुलिस संबंधी मामले छोड़कर उसे अन्य मामलों में अधिकार है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार का कहना है कि प्रशासन चलाने के लिए अफसरों पर उसका नियंत्रण होना चाहिए। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चलने के दौरान ही दिल्ली सरकार पर नियंत्रण संबंधी कानून में संशोधन करा लिया। केंद्र सरकार का कहना है कि दिल्ली देश की राजधानी है। यहां की सरकार को अन्य राज्य जैसे अधिकार नहीं दिए जा सकते। उसकी कोर्ट में ये भी दलील थी कि केजरीवाल सरकार अपरिपक्व है और इसी वजह से विवाद बनाए रखना चाहती है।

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खास बात ये कि 18 जनवरी को सुनवाई के आखिरी दिन केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को 9 जजों की बेंच में भेजने के लिए अर्जी दी थी। संविधान पीठ ने इस पर हैरानी जताई, लेकिन केंद्र को आवेदन की मंजूरी दे दी थी। केजरीवाल सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्र की इस अर्जी का विरोध किया था। वहीं, सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि देश की राजधानी को अराजकता में नहीं डाला जा सकता है।