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NewsRoompost Exclusive: साक्षात्कार में तारिक फतेह ने सीएए और शाहीन बाग के मुद्दे पर खुलकर की बातचीत

तारिक फतेह ने सीएए और शाहीन बाग के मुद्दे पर खुलकर बातचीत की। सीएए विरोध को लेकर मौलवियों पर तल्ख तेवर दिखाते हुए उन्होंने कहा कि इनकी दुकाने बंद हो गई हैं जिसकी वजह से ये नाराज हैं।

न्यूजरूम पोस्ट से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में तारिक फतेह ने सीएए और शाहीन बाग के मुद्दे पर खुलकर बातचीत की। इस दौरान तारिक फतेह ने सीएए विरोध को लेकर मौलवियों पर तल्ख तेवर दिखाते हुए कहा कि इनकी दुकाने बंद हो गई हैं जिसकी वजह से ये नाराज हैं। सीएए का इस्तेमाल हो रहा है लेकिन असल में ये ट्रिपल तलाक से नाराज हैं और गुस्सा बाबरी मस्जिद का है।Tarek Fatah & Imran Khan

CAA राजनीति से प्रेरित या वाकई लोगों में गुस्सा है?

इस सवाल पर तारिक फतेह ने कहा कि वास्तविकता में मुसलमान कट्टर मुस्लिम और लेफ्ट लीडरशिप से बेवकूफ बने हैं। मेरे हिसाब से विरोध के लिए जामिया मिलिया इस्लामी आखिरी जगह होनी चाहिए थी।

मेरे हिसाब से जमीयत उलेमा हिंद, जमात-ए-इस्लामी के लोग हैं उन्होंने ये हिसाब लगाया कि जैसे जम्मू कश्मीर में बहुसंख्यक हैं उसी तरह पश्चिम बंगाल में अगर 25-30 प्रतिशत मुस्लिम हो जाएं तो हम हुकूमत को अपनी मर्जी से चला सकते हैं और ज्योति बसु टाइप की सियासत हमेशा-हमेशा के लिए दफ्न कर सकते हैं। हो यही रहा था लेकिन सीएए से वो हिंदू बंगाली जो 1971 से बगैर किसी स्टेटस के रह रहे थे अगर वो हिंदू हिंदुस्तानी शहरी हो गए तो सरकार को ब्लैकमेल करने का प्लान फेल हो जाएगा जिस तरह से जम्मू कश्मीर में मुसलमान सियासतदान 2-3 बिलियन डॉलर साल के लेते थे केंद्र सरकार से। पश्चिम बंगाल में  हिंदू आबादी धीरे-धीरे बढ़ जाएगी जिससे इन्हें मुश्किल होगी।

शाहीन बाग पर आपका रुख क्या है? वायरल वीडियोज के क्या मायने निकाले जा सकते हैं, आपने सीएए के विरोध को ISI की साजिश बताया था?Tarek Fatah Activist Pakistan तारिक फतेह ने कहा कि ISI हिंदुस्तान में मुसलमान को इस्तेमाल कर रहा है ये बात जगजाहिर है। उनकी मंशा हिंदुस्तान के 50 शहरों में अफरा-तफरी करके हिंदुस्तान की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने की है। इस पर मेरा कहना नहीं है ये आप इंटेलीजेंस  एजेंसी से भी पता कर सकते हैं।  यहां ये भी ध्यान देना होगा कि वो कौन से लोग हैं जो हिंदुस्तानी हैं जो हिंदुस्तान के खिलाफ लिख रहे हैं कौन हिंदुस्तानी टाइम्स मैग्जीन में लिखता है, कौन हिंदुस्तानी न्यूयॉर्क टाइम्स, वांशिंगटनपोस्ट में लिख रहा है। इनको चिंता हिंदुस्तान की नहीं है इनकी परेशानी ये है कि आम आदमी जो गरीब है उसके हाथ में सत्ता कैसे पहुंच गई।

लेफ्ट विंग वाले अमीरों की जुबान बोल रहे हैं। राइट विंग आम हिंदुस्तानी मजदूरों की बात कर रहे हैं। असल में आम चुनाव के बाद से फ्रस्टेशन बढ़ी। न वो राहुल गांधी को छोड़ सकते हैं ना वो सोनिया गांधी को छोड़ सकते हैं।  कांग्रेस में कई दिग्गज नेताओं की वैल्यू खत्म की गई।Tarek Fatah Activist Pakistan

तारिक फतेह ने कहा कि मुसलमानों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाई जा रही है और मुसलमान ये मानकर बैठे हैं कि उनके बिना सिस्टम नहीं चल सकता। आजादी की बात करते हैं और औरतों को बुर्के से आजाद नहीं कर रहे। मुस्लिम लीडरशिप  मौलवियों के हाथ में है। पूरी इंसानी तारीख में इतने बुजदिल किस्म के मर्द सामने नहीं आए जिन्होंने अपनी पत्नियों को सामने रख दिया और खुद पीछे छिप गए। आपने कभी नहीं सुना होगा कि औरतों का इस्तेमाल मर्द कर रहे हों। ये बड़ी हैरानी वाली बात है कि औरतें और बच्चे इतनी आसानी से ब्रेनवाश हो जाते हैं और पीएम के कत्ल के नारे लगते हैं।

असल में मौलवी खफा हैं मोदी साहब के ट्रिपल तलाक से, इस्तेमाल CAA का कर रहे हैं और ये गुस्सा बाबरी मस्जिद का है। ये कह नहीं पाते लेकिन ये चैनलाइज्ड कर रहे हैं सीएए के जरिए, इनमें से किसी ने भी सीएए को नहीं पढ़ा है। शाहीन बाग में पिकनिक का माहौल बनाना बदनसीबी है मुस्लिम समुदाय की।

हिंदुस्तान में  NPR और NRC होना कितना जरूरी?

तारिक फतेह ने इस सवाल पर कहा कि यह सभी मुल्कों के लिए जरूरी है। पाकिस्तान में 1972 से नेशनल आईडेंटटी कार्ड है। हिंदुस्तान बहुत बड़ा मुल्क है लिहाजा यह हिंदुस्तान के लिए बेहद जरूरी है। वास्तविकता में हिंदुस्तान में 25 मुल्क बसते हैं। तो ऐसे में जो भी इकॉनॉमिक प्लान बनाएगा तो उसके लिए बिना इसके काम करना मुश्किल है।Tarek Fatah Activist Pakistan

जब आपको ये पता ही नहीं होगा कि आपके शहर में, जिले में लोग कितने हैं तो आप प्लानिंग कैसे करेंगे। कितने स्कूल खोलने हैं, कहां से लोग कहां जा रहे हैं, अलग-अलग राज्य में उनकी जरूरत को पूरा करना है तो ऐसे में बिना जनसंख्या की गणना के ये कैसे संभव है। पॉपुलेशन काउंट होना जरूरी है।

अयोध्या यात्रा पर तारिक फतेह ने बयां किया अनुभव

तारिक फतेह का कहना है कि अयोध्या में भगवान को बंद करके रखना एक ट्रेजेडी है। उन्हें  मुसलमानों के खौफ की वजह से कड़ी सुरक्षा में रखा गया है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की जिम्मेदारी है उन्हें समझना चाहिए भगवान को आजाद करना चाहिए। जिनके घर आपने पनाह ली उनके खुदा की आपने बेज्जती की। उन्होंने कहा कि अब सारे फैसले आने के बाद भी अब तक ये खौफ है कि कुछ गड़बड़ हो जाएगी।

हिंदुस्तान में तारिक फतेह को किससे डर लगता है?Tarek Fatah Activist Pakistan1

इस सवाल पर तारिक फतेह ने कहा कि उन्हें मुसलमानों से डर लगता है। मुसलमान चाहता है कि उसे जन्नत मिले। बिना कुछ हासिल किए हुए ये लोग एक दूसरे की जान ले रहे हैं। एक दूसरे के मुल्क कब्जा कर रहे हैं। दुनिया भर में मुसलमानों की स्थिति देख लीजिए। ये परेशानी आइडेंटटी क्राइसेस है जिसका हल आसान नहीं है लेकिन सच बोलने और सच सुनने की अगर तमीज हो जाए तो तमाम मसले हल हो सकते हैं।

पाकिस्तान में इमरान सरकार पर तारिक फतह की राय

तारिक फतेह का कहना है कि पाकिस्तान में इमरान सरकार नहीं चला रहे हैं। इमरान पीरी-फखीरी-जिन्न के चक्करों में पड़े हैं वो कहां से मुल्क चला रहे हैं। जो चला रहे हैं उन्होंने फैक्ट्री बनाई हुई है 1947 से, लूटमार कर रहे हैं। वास्तविकता में वो फौजियों का एक क्लब है जहां लोग मजे करते हैं।

आप सोशल मीडिया पर ट्रोल किए जाते हैं और फेक न्यूज फैलाने के आरोप भी आप पर लगाया जाता है?

हां, जिन्हें तकलीफ है वो ना फॉलो करें। मैं तो नहीं कहता किसी से अगर आपको मुझसे तकलीफ है तो आप चले जाइए। ये कोई पासपोर्ट सेंटर थोड़ी ना है कि साहब वीजा मिलेगा या अप्लीकेशन देनी पड़ेगी या किसी कमिश्नर के ऑफिस जाना पड़ेगा आप सिंपल ब्लॉक कर दें मुझे, जान छूटेगी मेरी भी। आप भी खुश मैं भी अपनी इबादत में लगा रहूंगा जब तक कि ये शैतान की औलादें अपनी हरकते खत्म नहीं करते।

दिल्ली विधानसभा चुनाव की अगर बात करें तो पिछले 5 वर्षों में दिल्ली में बदलाव नजर आ रहा है?Tarek Fatah Activist Pakistan

कैसे नजर आएगा, 5 वर्षों में कैसे पता चल सकता है कि दिल्ली बदली। 500 साल पहले लोग कहते थे कि दुनिया चपटी है। बदलाव आपको लंबे वक्त के बाद दिखता है। पहले लाहौर और अमृतसर के बीच बैलगाड़ी जाती थी, फिर जहाज जाने लगा। फिर वो बंद हो गया। फिर ट्रेन चली। दुकानों का चलन बदल रहा है। अब चीजें खुद घर पर डिलीवर होती हैं । कुलमिलाकर बदलाव के लिए समय लगता है।

विरोध करने वाले युवाओं पर तारिक फतेह की राय

पैसे वाले बच्चे हैं इनको विरोध करने दें। ये नहीं करेंगे तो और कौन करेगा विरोध। ये कह रहे हैं हमको कम्युनिज्म खेलने दो इनके लिए ये सब मोबाइल पर खेलने वाला गेम है। ये परफ्यूम लगाकर प्रोटेस्ट में शामिल होने वाले लोग हैं। ये डियोड्रेंट के बगैर जंग नहीं लड़ सकते।

 

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