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उपद्रवियों के खिलाफ कार्यवाही में किस बात का इंतजार? कोर्ट के निर्देश की जरूरत नहीं, हाई कोर्ट का बड़ा संदेश

दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएए के विरोध में चल रहे हिंसक प्रदर्शनों की सुनवाई के दौरान बड़ा संदेश दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि हिंसात्मक गतिविधियों में लगे हुए लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने के मामले में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। उसके लिए कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है।

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सीएए के विरोध में चल रहे हिंसक प्रदर्शनों की सुनवाई के दौरान बड़ा संदेश दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि हिंसात्मक गतिविधियों में लगे हुए लोगों के खिलाफ कार्यवाही करने के मामले में कोई देरी नहीं होनी चाहिए। उसके लिए कोर्ट के आदेश की जरूरत नहीं है।

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सीएए को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने पुलिस को नोटिस भेजा है। इस मामले की सुनवाई अभी जारी है। यह सुनवाई दोपहर साढ़े बारह बजे फिर से होगी। जस्टिस एस मुरलीधर और तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि पुलिस को हिंसा के संबंध में कार्रवाई करने के लिए कोर्ट के निर्देश की जरूरत नहीं है। पुलिस को उपद्रवियों के खिलाफ केस दर्ज कर कार्रवाई करना चाहिए।

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इस बीच दिल्ली हाईकोर्ट भड़काऊ बयानों के सिलसिले में दायर की गयी याचिका की भी सुनवाई कर रहा है। इस याचिका में हिंसा की न्यायिक जांच और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि भड़काऊ भाषण देकर लोगों को भड़काने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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इसके साथ ही तनावग्रस्त इलाकों में सेना की तैनाती करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है। निष्पक्ष जांच के लिए इलाके के सभी सीसीटीवी की फुटेज संरक्षित कराए जाने की मांग की गई है। इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने हिंसा के शिकार लोगों के मामले में तुरंत राहत की कार्यवाही का भी निर्देश दिया था। यह सुनवाई देर रात हुई थी।

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दिल्ली हाइकोर्ट के जस्टिस एम. मुरलीधर के घर पर देर रात हुई सुनवाई में दिल्ली पुलिस को मुस्तफाबाद के एक अस्पताल से एंबुलेंस को सुरक्षित रास्ता और मरीजों को सरकारी अस्पताल में शिफ्ट करने का आदेश दिया गया।