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जानवरों से निकला वायरस, अब जानवर ही बनेंगे दवा, ब्रिटेन और चीन में किए गए चिंपैंजी और बंदरों पर ट्रायल

कोरोना पर अमेरिका और ब्रिटेन में सीधे इंसानों पर ट्रायल शुरू हो गए हैं, वहीं चीनी वैज्ञानिक पहले जानवरों चूहों और बंदरों पर ट्रायल कर रहे हैं और फिर इंसानों पर।

नई दिल्ली। कोरोनावायरस की शुरुआत चीन से हुई और उसके बाद ही दुनिया में फैल गया। इस महामारी की वजह से लाखों लोगों की जिंदगी खतरे में है। लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। चीन से भी ज्यादा कोरोनावायरस का शिकार अमेरिका हुआ है। करीब पांच महीने पहले चीन के वुहान स्थित जानवरों के मार्केट से निकला कोरोना वायरस करीब दो लाख लोगों की जान ले चुका है और 30 लाख अन्य संक्रमित हैं। तमाम विवादों के बीच माना जा चुका है यह वायरस चमगादड़ के जरिये आया है।

wuhan coronavirus

एक तरफ जहां अमेरिका और ब्रिटेन में सीधे इंसानों पर ट्रायल शुरू हो गए हैं, वहीं चीनी वैज्ञानिक पहले जानवरों चूहों और बंदरों पर ट्रायल कर रहे हैं और फिर इंसानों पर। इस बीच चीन से खबर है कि यहां की कम्पनी सिनोवैक बायोटेक ने रीसस बंदरों पर वैक्सीन का ट्रायल करके संक्रमण को रोकने में काफी हद तक सफलता हासिल की है। वहीं, ब्रिटेन में दुनिया में सबसे तेज गति से वैक्सीन बनाने में जिस वायरस का इस्तेमाल हो रहा है वह भी इंसानों के पूर्वज कहे जाने वाले चिम्पैंजी से लिया गया है।

इस बारे में चीनी कंपनी ने कहा कि उसने अपने वैक्सीन की दो अलग-अलग खुराकों को आठ रीसस मकाऊ (लाल मुंह वाले भूरे बंदर) प्रजाति के बंदरों में इंजेक्ट करके देखा और तीन सप्ताह बाद उन्हें वायरस के संपर्क में लाने पर पता चला कि उनके अंदर किसी तरह का संक्रमण पैदा नहीं हुआ।

गौरतलब है कि सभी बंदर प्रभावी स्तर पर SARS-CoV-2 यानी Covid-19 वायरस के संक्रमण से सुरक्षित थे। वायरस से संक्रमित करने के बाद चार बंदरों को वैक्सीन की ज्यादा खुराक दी गई थी और 7 दिन के बाद के नतीजों में उनके फेफड़ों में वायरस का संक्रमण बहुत ही कम देखा गया।

बता दें कि वैक्सीन का सबसे पहले प्रयोग जानवरों पर किया जाता है इसके बाद इंसानों पर इसका ट्रायल शुरू किया जाता है।